गले में पड़ी मुसीबत का नाम है ईयरफोन
गले में पड़ी मुसीबत का नाम है ईयरफोन
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ऑफिस से आते जाते वक्त या बाहर ख़रीदारी आदि करने जाते हुए आपका सामना बहुत से ऐसे युवाओं से होगा हो अपने कान में इयरफोन लगाए हुए अपनी ही मस्ती में नजर आएंगे। अपने आप को कूल दिखाने के चक्कर में ये लोग अपने ही शरीर के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और इन्हें शायद इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं है की जिस मुसीबत को वो कान में लगाकर घूम रहे हैं वो उन्हें कितनी बीमारिया दे सकती है. कई बार अखबार में देखने को मिलता है कि कान में इयरफोन होने के वजह से फलाने की टक्कर फलाने से हो गयी.

आज हम आपको ईरफ़ोन के कुछ नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताते हैं. ईयरफोन की वजह से सड़क दुर्घटनाओं के कई मामले सामने आये हैं इसलिये बेहतर होगा कि आप ड्राइव करते समय या सड़क पर पैदल चलते समय तो ईयरफोन का प्रयोग ना करे। ईयरफोन के ज्यादा उपयोग के सुनने की क्षमता में कमी के साथ-साथ कान में दर्द होना, सिर-दर्द, नींद ना आना जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं। सुनने की क्षमता 40 से 50 डेसीमल तक कम हो जाती है. जो लोग प्रति दिन करीब एक घंटे ईयरफोन की मदद से तेज आवाज में म्यूजिक सुनते हैं उनमे ऊँचा सुनने की संभावना ज्यादा रहती है.

कोई व्यक्ति प्रतिदिन एक घंटे से अधिक वक्त तक 80 डेसीबेल्स से अधिक तेज वॉल्यूम में संगीत सुनता है, तो उसे कम से कम 5 सालों में सुनने में कठिनाई से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है या फिर वह स्थायी रूप से बहरा हो सकता है। अच्छी क्वालिटी के ही हेडफोन्स या ईयरफोन्स का प्रयोग करें और ईयरबड की बजाय ईयरफोन्स का प्रयोग करें क्योंकि यह बाहरी कान में लगे होते हैं। कान में छन-छन की आवाज आना,चक्कर आना, सनसनाहट, नींद न आना, जैसी समस्याएं भी इयरफोन की वजह से होती हैं. इससे याददाश्त, बोलने की क्षमता भी प्रभावित होती है। इसके अलावा कई तरह की मानसिक समस्याएं भी पैदा होने लगती हैं।

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