Dec 08 2015 08:40 PM
श्री वरदविनायक गणेश जी जिनके पूजन मात्र से ही प्रत्येक कामना पूर्ण हो जाती है। वरदविनायक जी का मंदिर बेहद ही जागृत है और यहां प्रतिष्ठापित भगवान की मूर्ति भी बहुत ही मनोहारी है। भगवान का मंदिर अष्ट पीठों में है। दरअसल यह मंदिर महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले में कोल्हापुर में प्रतिष्ठापित है।
ऊंचे दुर्गम पहाड़ पर श्री गणेश जी का यह धाम अष्ट विनायकों में से एक है। मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं की मान्यता है कि वरदविनायक भगवान श्री गणेश के नाम की ही तरह सारी कामनाओं को पूरा किए जाने का वरदान मिलता है।
प्राचीन समय में भद्रक के नाम से इस मंदिर की ख्याति थी। नंददीप नामक एक दीपक में निरंतर एक ज्योति प्रज्जवलित है। जिसके दर्शनों से पुण्य मिलता है। यह ज्योति 1892 से अखंडरूप से प्रज्जवलित है।
माना जाता है कि पुष्पक वन में गृत्समद ऋषि के तप से खुश होकर भगवान श्री गणपति द्वारा यहीं पर मंत्र की रचना की गई थी। यह स्थान बहुत ही जागृत है। यहां पर चतुर्थी का व्रत किया जाता है। विशेष तौर पर शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वरदविनायक चतुर्थी कहा जाता है।
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