श्री हनुमानजी का सूक्ष्मरूप - श्री हनुमानगढ़ी मंदिर
श्री हनुमानजी का सूक्ष्मरूप - श्री हनुमानगढ़ी मंदिर
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श्री महाबलि हनुमान जो कि अष्टचिरंजीवी में से एक माने गए हैं। वे अष्टसिद्धियों और नवनिधियों के दाता भी हैं। भगवान श्री हनुमान रामभक्त हैं। कहा जाता है कि भगवान श्री राम श्री हनुमान जी की भक्ति से भी प्रसन्न हो जाते हैं और भगवान श्री हनुमान श्री राम जी की आराधना से भी प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान श्री राम के दूत हनुमान जी को श्री राम नवमी के तौर पर स्मरण करना बहुत ही अच्छा माना जाता है।

दरअसल इस धरती में भगवान श्री हनुमान के कई मंदिर लोकप्रिय हैं। इन मंदिरों में से कुछ बेहद ही प्रमुख मंदिर हैं। इन मंदिरों में एक है श्री हनुमानगढ़ी, अयोध्या का मंदिर। उत्तरप्रदेश राज्य में यह मंदिर उस शहर में है जो कि उनके प्रभु श्री राम की जन्मस्थली है। 

इस मंदिर में भगवान श्री हनुमान जी की अतिप्राचीन प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। भगवान श्री हनुमान जी का यह मंदिर केवल 6 इंच लंबा है। मंदिर सदैव फूलमालाओं से सज्जित है। इस मंदिर में भगवान के दर्शन करने के लिए करीब 60 सीढि़यां चढ़ना होती हैं। इस मंदिर के जीर्णोद्धार के पीछे कई कहानियां हैं। सुल्तान मंसूर अली लखनऊ और फैजाबाद का प्रशासक था।

एक बार सुल्तान का लड़का बीमार हो गया। बहुत इलाज किया लेकिन उस पर दवाओं का असर नहीं हुआ ऐसे में वह श्री हनुमान जी की शरण में आ गया। श्री हनुमानजी से विनती की गई ऐसे में चमत्कार हुआ और सुल्तान का पुत्र पूरी तरह से ठीक हो गया। उसकी धड़कन सामान्य हो गई। सुल्तान खुश हो उठा।

उसने यहां पर हनुमानगढ़ ओर इमली वन को और भी सुविधायुक्त किया। मंदिर का जीर्णोद्धार भी किया। यहां मंगलवार और शनिवार को बड़े पैमाने पर श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। श्रद्धालु यहां पर पूजन अर्चन करते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं। श्रद्धालुओं का तांता यहां पर श्री हनुमान अष्टमी पर भी लगा रहता है। 

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