बांगर में होते हैं श्री दत्तात्रेय के साक्षात् दर्शन
बांगर में होते हैं श्री दत्तात्रेय के साक्षात् दर्शन
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भगवान को मानने और स्मरण करने का यूं तो कोई दिन निर्धारित नहीं होता है लेकिन भारतीय धर्म में हर दिन एक - एक ईश्वर का तय कर दिया गया है। ऐसा करने से लोगों की सहूलियत भी हो जाती है और विशेष शक्ति का जागरण व प्रभाव उस दिन अधिक रहता है। गुरूवार का दिन देव गुरू बृहस्पित को समर्पित है। यही नहीं सभी श्रद्धालु भी इस दिन अपने - अपने गुरूओं का पूजन करते हैं। वैसे भारतीय धर्म के अनुसार श्रद्धालु भगवान दत्तात्रेय और श्री सांई बाबा को अपना गुरू मानते हैं। गुरूवार को श्री सांई मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

यही नहीं यह भी कहा जाता है कि गुरूवार के दिन श्री दत्तात्रेय के मंदिर में जाकर अर्चन व पूजन करने से मनोवांछित लाभ मिलता है। ऐसा ही एक मंदिर देवास के समीप बांगर में प्रतिष्ठापित है। जिसे श्री दत्त पादुका मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की चैतन्यता बहुत ही निराली है। यह मंदिर बेहद जागरूक है।

श्रद्धालु यहां आकर अपनी मनोकामनाऐं पूर्ण करते हैं। दरअसल यहां लगातार 5 गुरूवार आकर आराधना करने और साधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। बांगर को श्री क्षेत्र कहा जाता है। दरअसल प्रति गुरूवार को 5 गुरूवार तक उपवास, व्रत रखकर भगवान श्री दत्तात्रेय की 11 परिक्रमाऐं लगाना होती हैं।

श्रद्धालु को यहां पर उपवास का कोई प्रसाद चढ़ाकर उसे यहीं ग्रहण करना होता है और फिर भगवान श्री दत्तात्रेय का स्मरण, ध्यान, पूजन करने के बाद एक समय अपने ही घर पर भोजन ग्रहण करना होता है। इस अवधि में किसी और के घर भोजन नहीं किया जा सकता है। 5 वें गुरूवार को श्रद्धालुओं को परिक्रमा पूर्ण कर भगवान श्री दत्तात्रेय से प्रार्थना कर नारियल मंदिर में बांधना होता है। मन्नत पूरी हो जाने पर श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। कई श्रद्धालु यह मन्नत करते हैं और उनके सारे काम बन जाते हैं। 

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