श्री अगस्तेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से बनते हैं सभी काम
श्री अगस्तेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से बनते हैं सभी काम
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यूं तो सृष्टि के कण - कण में शिव का वास है और श्री महादेव अर्थात् साक्षात् महाकालेश्वर इस भू- लोक के स्वामी हैं। भगवान शिव के भारतभर में लोकप्रिय मंदिर हैं। बारह ज्योर्तिलिंग शिव के जागृत स्वरूप का प्रतीक है। जिनमें विश्वभर के श्रद्धालुओं की आस्था रहती है। इन ज्योर्तिलिंगों के अलावा भी शिवलिंग ऐसे हैं जो श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र रहते हैं। इन्हीं शिवलिंगों में बेहद लोकप्रिय है श्री अगस्तेश्वर महादेव मंदिर। जी हां, मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक नगरी और पौराणिक शहर उज्जैन में मां हरसिद्धि का सिद्ध पीठ है।

बस उसी शक्ति पीठ के पीछे स्थित है श्री अगस्तेश्वर महादेव का मंदिर। यह मंदिर बेहद जागृत है। यह 84 महादेव में प्रमुख मंदिर है। पंचक्रोशी यात्रा के ही साथ 84 महादेव यात्रा में इस मंदिर का बड़ा महत्व है। यहां महर्षि अगस्त्य ने तपस्या की थी। उनकी तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए थे। दरअसल महर्षि अगस्त्य को ब्रह्म हत्या का पाप लगा था। दरअसल देवता और दानवों के युद्ध में दैत्यों ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली। ऐसे में देवता पृथ्वी का भ्रमण करने लगे। उनकी भेंट अगस्त्य ऋषि से हुई।

अगस्त्य ऋषि को क्रोध आया और उनके शरीर से एक ज्वाला निकली। यह देखकर दैत्य स्वर्ग में ही जलने लगे और नीचे गिरने लगे। यह हालत देखकर अन्य दैत्य पाताल लोक चले गए। अस्त्य ऋषि ने पाप मुक्ति के लिए ब्रह्माजी से उपाय पूछा। तब ब्रह्मा भगवान ने उन्हें महाकाल वन में प्रतिष्ठापित शिवलिंग की तपस्या करने को कहा। ऐसे में उनकी तपस्या से शिवजी प्रसन्न हुए और उन्होंने उन्हे दर्शन देकर पापमुक्त किया। मंगलवार को पूजन का विशेष महत्व है। हालांकि मंगल दोष से मुक्ति का उपाय मंगलनाथ और अंगारेश्वर में होता है लेकिन मंगल पीड़ा के निवारण के लिए यहां पर जल चढ़ाने वाले श्रद्धालु को पीड़ा से राहत मिलती है। यहां ग्रह शांति करवाने से भी मंगल के कष्टों का निवारण होता है। 

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