विभिन्न तिथियों और वारों में यह है श्राद्ध कर्म का फल
विभिन्न तिथियों और वारों में यह है श्राद्ध कर्म का फल
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श्राद्ध पक्ष के दौरान श्रद्धालु अपने पितरों को तर्पण, पिंडदान, और सिदा दान के माध्यम से तृप्त करते हैं। इतना ही नहीं श्राद्ध पक्ष में श्रद्धालु ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्रादि का दान भी देते हैं। आज की तिथि द्वादशी तिथि है। इस तिथि पर श्राद्ध कर्म करने से सोना, चांदी आदि की प्राप्ति हो सकती है। यदि यह श्राद्ध कर्म अश्विनी मास में किया जा रहा है तो फिर श्राद्ध करने वाले को अश्व की प्राप्ति भी होती है।

इसी तरह से त्रयोदशी पर श्राद्ध कर्म करने से जाति में उच्चता मिलती है। इसके उलट चतुर्दर्शी के दिन शस्त्र से आघात होकर या फिर युद्ध में मृत्यु को पाने वाले पितरों का श्राद्ध किया जाता है। अमावस्या को किए गए श्राद्ध से सभी ज्ञात - अज्ञात तिथियों में मृत व्यक्तियों का श्राद्ध किया जाए तो उनक पितरों को तृप्ति मिलती है। श्राद्ध वाले दिन यदि बुधवार हो तो यह सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला होता है।

गुरूवार को किए जाने वाला श्राद्ध विद्याप्राप्ति के लिए योग्य होता है। शुक्रवार को यदि श्राद्ध किया जाए तो यह धन बढ़ाने वाला होता है। इस वार पर श्राद्धकर्म करने से धन मिलता है। शनिवार को श्राद्ध कर्म करने से आयु बढ़ती है। और रविवार का श्राद्धकर्म आरोग्यता प्रदान करता है। अर्थात रोगों से मुक्ति मिलती है।

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