शारदा पीठ: 2400 वर्ष प्राचीन हिन्दू मंदिर, 70 साल से नहीं हुई पूजा, अब अमित शाह ने किया उद्घाटन
शारदा पीठ: 2400 वर्ष प्राचीन हिन्दू मंदिर, 70 साल से नहीं हुई पूजा, अब अमित शाह ने किया उद्घाटन
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श्रीनगर: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार (22 मार्च) को जम्मू-कश्मीर के करनाह सेक्टर के टीटवाल में LOC के पास स्थित हिंदुओं की आस्था के प्रमुख केंद्र, प्राचीन शारदा पीठ (Sharda Peeth) मंदिर का वर्चुअल तरीके से उद्घाटन किया। इस दौरान गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार सिखों के करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर ही यात्रा के लिए शारदा पीठ को भी भक्तों के खोलने की दिशा में कार्य कर रही है। बता दें कि यह मंदिर कुपवाड़ा से लगभग 30 किलोमीटर दूर भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (LoC) पर स्थित है।

 

इस दौरान गृह मंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद इस केंद्र शासित प्रदेश में पुरानी परंपराओं, संस्कृति और ‘गंगा जमुनी तहजीब’ का पुनरुत्थान हो रहा है। अमित शाह ने कहा कि शारदा पीठ भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक एवं शैक्षणिक विरासत का ऐतिहासिक केंद्र है। मोदी सरकार करतारपुर कॉरीडोर की तर्ज पर ही शारदा पीठ को भी भक्तों के लिए खोलने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि एक दौर में शारदा पीठ इस उपमहाद्वीप का ज्ञान का केंद्र था। देश-दुनिया से विद्वान आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में यहाँ आते थे।

बता दें कि शारदा पीठ ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का प्राचीन मन्दिर है। यह PoK में शारदा के निकट किशनगंगा नदी (जिसे पाकिस्तान में नीलम नदी कहा जाता है) के किनारे मौजूद है। इसके भग्नावशेष नियन्त्रण रेखा के पास स्थित है, जिस पर भारत का अधिकार है। इसी का भारत सरकार द्वारा पुनर्निर्माण करायागया है। इस मंदिर का उद्घाटन करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि नवरात्र के पहले दिन ही माता की प्रतिमा को प्रतिष्ठित किया गया है। यह कदम केवल मंदिर का पुननिर्माण नहीं, बल्कि शारदा सभ्यता की खोज का शुभारंभ भी है। अमित शाह ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति की चेतना को ब्रह्मांड की अनंत चेतना के साथ जोड़ने वाले ज्ञान को धरातल पर उतरने वाली शुरुआत होगी।

गृह मंत्री ने कहा कि उस वक़्त प्रचलित लिपी को माता शारदा के नाम पर शारदा लिपि रखा गया है। उन्होंने कहा कि मंदिर का पुनर्निर्माण वक़्त सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए गर्व और संतोष का पल है। अनुच्छेद 370 की समाप्ति से घाटी और जम्मू में फिर से एक बार अपनी पुरानी परंपराओं की तरफ ले जाने का कार्य किया है। अमित शाह ने कहा कि यह महाशक्ति पीठों में से एक है। मान्यता है कि, यहाँ माता सती का दाहिना हाथ गिरा था और सागर मंथन के दौरान जो अमृत निकला था, उसे यहाँ लाया गया था। अमृत की जो दो बूँद गिरी, वो यहाँ प्रतिमा के रूप में स्थापित हुई। यहाँ शंकराचार्य आए और सरस्वती माता की स्तुतियां गाईं।

बता दें कि शारदा पीठ, शक्ति की आराधना करने वाले शाक्त संप्रदाय का प्रथम तीर्थस्थल माना जाता है। कहा जाता है कि कश्मीर के इसी मंदिर में सर्वप्रथम देवी की आराधना आरंभ हुई थी। इसके बाद माता खीर भवानी मंदिर और माता वैष्णो देवी मंदिर की स्थापना हुई थी। माना जाता है कि इस मंदिर को 2400 वर्ष पूर्व (237 ईसा पूर्व) मगध के सम्राट अशोक ने बनवाया था। यह मंदिर निरंतर आक्रमणों का सामना करता रहा है, लेकिन बार-बार इसकी मरम्मत होता रहा है। अंतिम बार इस मंदिर का जीर्णोद्धार डोगरा साम्राज्य के संस्थापक एवं जम्मू-कश्मीर के महाराजा गुलाब सिंह जामवाल ने 19वीं सदी में करवाया था। 

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस शक्तिपीठ की माँ शारदा तीन शक्तियों का संगम हैं। पहली माँ शारदा (शिक्षा की देवी), दूसरी माँ सरस्वती (ज्ञान की देवी) और माँ वाग्देवी (वाणी की देवी)। इतिहासकारों की मानें तो, शारदा पीठ भी अमरनाथ और अनंतनाग के मार्तंड सूर्य मंदिर की तरह ही हिन्दू श्रद्धा और आस्था का प्रमुख केंद्र है। हालाँकि, यहाँ इसमें बीते 70 वर्षों से पूजा-अर्चना नहीं हुई है। अब इसके पुनर्रुद्धार के बाद यह संभव हो सका है। इस मंदिर के निर्माण के लिए दिसंबर 2021 में भूमि पूजन किया गया था। मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए ‘सेव शारदा समिति’ ने एक मंदिर निर्माण समिति गठित की थी। इस समिति में 3 स्थानीय मुस्लिम, 1 सिख और 1 कश्मीरी पंडित को शामिल किया गया था। यहाँ मंदिर के साथ-साथ एक गुरुद्वारा और एक मस्जिद का निर्माण कार्य भी आरंभ किया गया था।

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