दुनियाभर में ना जाने कितने ही लोग शरद पूर्णिमा का इंतज़ार करते हैं क्योंकि वह दिन और रात दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. ऐसे में अश्विन महीने की शरद पूर्णिमा बेहद खास मानी जाती है और कहा जाता है कि इस दिन रात को खीर खुले आसमान में रखी जाती है और फिर बाद में उसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है. कहा जाता है शरद पूर्णिमा की रात को चांद धरती के सबसे करीब होता है इसी के साथ यह भी कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा को चांद 16 कलाओं से संपन्न होकर अमृत वर्षा करता है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है.
ऐसे में इस दिन व्रत रख कर विधि-विधान से लक्ष्मीनारायण का पूजन किया जाता है और रात में खीर बनाकर उसे रात में आसमान के नीचे रखा जाता है. कहते हैं इस दिन चंद्रमा की चांदनी का प्रकाश खीर पर पड़ना चाहिए और फिर दूसरे दिन सुबह स्नान करके खीर का भोग अपने घर के मंदिर में लगाकर तीन ब्राह्मणों को खीर प्रसाद के रूप में देकर परिवार में बांटी देनी चाहिए.
कहते हैं उस खीर को अथवा प्रसाद को ग्रहण करने से अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है. ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था इस वजह से इस दिन साड़ी रात जागरण भी किया जाता है.
रोगियों के लिए वरदान बनकर आती है शरद पूर्णिमा की रात
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