शनिदेव क्यों बन गए थे स्त्री? यहाँ होती है उनकी स्त्री रूप में पूजा
शनिदेव क्यों बन गए थे स्त्री? यहाँ होती है उनकी स्त्री रूप में पूजा
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शनिदेव जहाँ उद्धार कर देते है वही उसके विपरीत वे अपनी तिरछी नजर से विनाश कि और अग्रसर भी कर देते है एक बार इसी तरह शनि देव कि तिरछी नजर के प्रकोप से भूलोकवासियों को बेहद दुखों और परेशानियों का सामना करना पड़ा था जब इन्ही में से हनुमान भक्तो ने सभी को शनि से बचने के लिए हनुमान जी से प्राथना की तथा भक्तो कि यह हालत देखकर हनुमान से भी रहा नहीं गया और उन्होंने शनि को सबक सिखाने कि जिद कर ली |

जब शनिदेव को यह बात पता चला कि हनुमान उन्हें सबक सिखाने आ रहे है तो वे बहुत डर गए और हनुमान जी के क्रोध से बचने के लिए उपाय सोचने लगे। तभी उन्हें याद आया कि हनुमान जी बाल ब्रम्हचारी है वे शरणागत स्त्री पर कभी हाथ नहीं उठा सकते। इसलिए हनुमान जी के क्रोध से बचने के लिए शनिदेव ने स्त्री रूप धारण कर लिया और हनुमान जी के चरणों में गिरकर क्षमा मांगने लगे और भक्तों पर से अपना प्रकोप भी हटा लिया।

तब से ही लेकर आज तक सारंगपुर के कष्टभंजन हनुमान मंदिर में शनिदेव को हनुमान जी के चरणों में स्त्री रूप में ही पूजा जाता है। भक्तों के कष्टों का निवारण करने के कारण इस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। और यहाँ आज भी हनुमान के चरणों शनि के स्त्री रूप में दर्शन किये जा सकते है यह मंदिर बहुत ही चमत्कारिक माना जाता है इसके कई कारण है यहाँ आने वाले भक्तो कि मनोकामनाए पूर्ण हो जाती है साथ ही यदि कुंडली में शनि दोष हो तो कष्टभंजन हनुमान के दर्शन और पूजा-अर्चना करने मात्र से सभी दोष खत्म हो जाते हैं। इसी वजह से इस मंदिर में साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

 

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