style="text-align: justify;">इस बार चैत्र मास की अमावस्या शनिश्चरी अमावस्या का संयोग लेकर आई है। मालवा में इस अमावस्या का बड़ा महत्व है। दरअसल पंचक्रोशी यात्रा के समागम के साथ शनिश्चरी अमावस्या का दुर्लभ योग श्रद्धालुओं के लिए बेहद पुण्यदायी है। इस दौरान श्रद्धालु पवित्र नदियों और सरोवरों में डुबकी लगाकर पुण्यलाभ कमा रहे हैं।
ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं में भी इस योग को बेहद शुभ माना जाता है।
इस दौरान शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनि दोष, काल सर्प दोष, पितृ दोष, ग्रहण दोष और चाण्डाल दोष से प्रभावित होकर लोग पूजन और दान करने के साथ परेशानियों का हल तलाशने में लगे हैं। ऐसे श्रद्धालुओं के समस्त दोष पूजन - अर्चन से दूर होते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार भगवान शनि देव सूर्य पुत्र हैं इन्हें न्यायाधीश भी कहा जाता है। भगवान शनि देव लोगों के कर्मों के अनुसार उन्हें फल देकर न्याय करते हैं। ज्योतिषीय कुंडली में शनि की कृपा व्यक्ति को बहुत बड़ी सफलताऐं भी दे सकती है और शनि यदि आप पर बिगड़ गए हों तो आपको कुछ मुश्किलों का सामना भी करना पड़ सकता है।
शनिदेव को खुश करने के लिए शनिश्चरी अमावस्या पर तिल, जौ, तेल आदि का दान करना बेहद उचित है। यही नहीं इस तरह से श्रद्धालु को मन चाही सफलता मिलती है।
यही नहीं गरीब को खाना खिलाने, शनि मंदिर में तेल, काला कपड़ा, तिल, जौ, काली उड़द दान देने से शनि दोषों की पीड़ा कम होती है। यदि अमावस्या के दिन काले रंग कुत्ता आप घर ले आऐं और उसे अपने घर के सदस्य की तरह पालें और उसकी सेवा करें तो आप पर शनि देव की विशेष कृपा हो सकती है। अमावस्या की रात्रि को 8 काजल की डिब्बी और 8 बादाम काले वस्त्र में बांधकर संदूक में रखने से भी शनि दोष से मुक्ति मिलती है।