बच्चो का रखे खुद से ख्याल
बच्चो का रखे खुद से ख्याल
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बेबीसीटिंग में बच्चे का ख्याल तो काफी अच्छे से रखा जाता है लेकिन उन्हें अपनत्व का एहसास नहीं हो पाता जिससे बच्चे भावनात्मक नहीं हो पाते और चिड़चिड़े हो जाते हैं. खासकर पहले के चार साल में

1-मां-बाप का प्यार ही आधी परेशानी खत्म कर देता है और बच्चे मेंटली और फिजिकली खुश और स्वस्थ रहते हैं. अटैचमेंट थियोरी का आधार बच्चे और अभिभावकों के बीच के रिश्ते की प्रकृति पर निर्भर करता है. इस पर द्वितिय विश्वयुद्ध के दौरान शोध भी हो चुकी है. शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि द्वितिय विश्वयुद्ध के दौरान हॉस्पीटल और अनाथालय में रहने वाले विकलांग बच्चे और असहाय बच्चों को (जो अपने घर से अलग हो गए थे) केवल खाने और अन्य चीजों के बजाय सबसे अधिक प्यार की जरूरत होती है.

2-अटैचमेंट थियोरी बच्चे को तनावरहित रखते हैं. बच्चों का माता-पिता के साथ सोना उन्हें हर डर से दूर रखता है. इससे बच्चे को हमेशा अपने पास किसी की मौजूदगी का अहसास रहता है जो उन्हें डर और अनजाने वातावरण के बजाय फ्रीडम वाला वातावरण उपलब्ध कराते हैं. ऐसे में अगर कोई बाहर उन्हें परेशान करता है तो वो उस चीज के कारण अंदर-अंदर घुटने के बजाय मां-बाप को तुरंत बता देते हैं. इससे बच्चों में तनाव नहीं होता और बच्चे खुश रहते हैं.

3-दादा-दादी और बड़ी फैमिली में रहने के कारण बच्चे व्यवहारशील होते हैं. अपने मां-बाप को अपने दादी-दादी के साथ अदब से पेश आता हुआ देख आदर और अबद शब्द को जानने के साथ ही उसे अपने व्यवहार में उतारते हैं. इससे बच्चे की सोशल लाइफ अच्छी रहती है. मां-बाप के साथ सोने और उनके साथ चीजें शेयर करने के कारण बच्चे एडजस्टमेंट जैसे शब्दों से अपरिचित नहीं होते. साथ ही हर जगह आसानी से एडजस्ट कर लेते हैं.

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