1000 लड़कों पर 918 लड़कियां बची है भारत में
1000 लड़कों पर 918 लड़कियां बची है भारत में
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नई दिल्ली: जब भी हम किसी भ्रूणहत्या की खबर को सुनते है, तो भीतर तक सिहर जाते है। इस लिंगभेद का असर जनसंख्या पर पड़ना स्वभाविक है। 2011 में हुई जनगणना के ताजा आंकड़े बुधवार को सार्वजनिक किए गए। सामने आए इस आंकड़े से पता चलता है कि भारत के दो अल्पसंख्यक समुदाय सिख और जैन लिंगानुपात के मामले में सबसे पिछड़े हुए है।

साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी लिंगानुपात में कमी आई है। जनगणना के अनुसार, बाल लिंग अनुपात में 6 साल तक के 1000 लड़कों पर समान आयु की लड़कियों की संख्या बराबर देखी जा रही है। भारत में बेटों की चाह और छोटे परिवार की सोच ने लड़कियों की संख्या में भारी गिरावट ला दी है। बाल लिंग अनुपात के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत में 1000 लड़कों पर 918 लड़कियां है।

2001 में ये आंकड़े 927 थे। कहा जा रहा है कि 1961 के बाद ये सबसे निम्न स्तर है। भारत का सबसे बड़ा हिस्सा (80 प्रतिशत) हिंदू समुदाय का है। हिंदू समुदाय में 2001 में बाल लिंग अनुपात 1000 पर 925 था। मुस्लिम और इसाई धर्म में बाल लिंग अनुपात में गिरावट आई है। इसाई धर्म में ये अनुपात 964 से गिरकर 958 हो गया तो वहीं मुसलमानों में यह आंकड़ा 950 से कम होकर 943 रह गया है। 

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