कलाकृतियों की अमूल्य विरासत को बचाना चाहते है अभिषेक
कलाकृतियों की अमूल्य विरासत को बचाना चाहते है अभिषेक
Share:

एक समय था जब सरकंडे से निर्मित कालाकृतियो और सजावटी सामानो की डिमांड अपने चरम पर थी, लेकिन वर्तमान मे जैसे ही आधुनिक पद्धतियो ने अपनी जड़े मजबूत की वैसे वैसे यह काला विलुप्ति की कगार पर आ गई।

आज प्राचीन साज-समान की जगह चाइनीच समान ले रहा है। सरकार की और से भी सरकंडे दस्तकारों को कोई प्रोत्साहन नही मिल रहा है, जिसके कारण इस कला से जुड़े लोग मजबूरन इस व्यवसाय को छोडकर दूसरे व्यवसाय को अपना रहे है। लेकिन राजपुरा के पी.एम.एन. कॉलेज से बी.ए. करने वाले अभिषेक चौहान ने सरकंडे से निर्मित कलाकृतियों को जीवित रखने का बीड़ा उठाया है।

अभिषेक ने अपनी काला के मधायम से अनेक तरह की कलाकृतियों को बनाकर सबको अचंभित कर दिया है । बीते दिनो जब एक कॉलेज के प्रदर्शनी आयोजन मे अभिषेक ने शेषनाग, मौर, झूले जैसे अन्य मनमोहक सजावटी समान बनाए जिनहे लोगो ने खूब सराहा।

दादा जी से सीखा हुनर-

अभिषेक ने बताया की उसने अपने दादा रामचंद से इस कला का हुनर सीखा है। उनके दादा का सपना है की अभिषेक इस कला को देश - विदेश मे फेलाए।

कैसे बनती है कलाकृति-

अभिषेक ने बताया की आसपास के दलदलों मे सरकंडे उगते है जिनहे तोड़कर एकत्रित किया जाता है और कड़ी मेहनत से बुनकर कलाकृति तैयार की जाती है।

सरकार से मदद की उम्मीद-

अभिषेक ने कहा की यह कलाकृतिया हमरे देश की धरोहर है । दस्तकार परिवार से होने के बाद भी अभिषेक पढ़ाई के साथ-साथ कलाकृतियों को भी बनाने का काम भी कर रहे है। उनका कहना है की अगर सरकार से सहयोग ओर आर्थिक मदद मिले तो वह इस कला का वर्चस्व फिर से जीवित कर सकते है।

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -