जाने कितने और कैसे शनिवार व्रत संकटमोचक होते हैं
जाने कितने और कैसे शनिवार व्रत संकटमोचक होते हैं
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जीवन में अभाव से मतलब मात्र धन की कमी ही नहीं, बल्कि उससे भी ज्यादा कर्म, विचार और बुद्धि के अभाव से है, जो तमाम दु:खों का कारण बनते हैं। इसलिए शास्त्रों में कर्म दोष से छुटकारा जरूरी बताया गया है। हिन्दू धर्म में कर्म दोष का दण्ड और उससे मुक्त करने वाले देवता शनिदेव माने जाते हैं। शनि देव विलक्षण शक्तियों वाले देवता हैं। जिस तरह कुल या परिवार के अच्छे-बुरे संस्कार का प्रभाव अगली पीढ़ी या संतानों में देखा जाता है। वैसे ही जगत की आत्मा व ईश्वर का रूप माने जाने वाले तेजस्वी सूर्य पुत्र होने से शनि भी बेजोड़ शक्तियों के देवता है।

यही नहीं, शिव भक्ति से मिला जीवों को उनके अच्छे-बुरे कर्मों के मुताबिक विशेष दण्डाधिकार सज्जनों के साथ दुर्जनों को भी शनिदेव के सामने नतमस्तक कर देता है। ऐसे शनिदेव की कृपा से कर्महीनता या वक्त की मार से मिले हर अभावों से मुक्ति के लिए शनिवार व्रत व पूजा का महत्व बताया गया है। जानिए, कितने और कैसे शनिवार व्रत संकटमोचक होते हैं - 

शास्त्रों के मुताबिक शनिवार व्रत किसी भी शनिवार से शुरू कर सकते हैं। शिव उपासना के काल सावन माह के शनिवार विशेष रूप से शुभ होते हैं।

4 या 33 शनिवार व्रत सारे दु:ख-दरिद्रता, रोग-शोक का नाश कर धन-वैभव से संपन्न करने वाले माने गए हैं।

शनिदेव की लौह या काले पाषाण की मूर्ति की सूर्योदय से पूर्व पीपल के नीचे स्वच्छ स्थान पर पूजा श्रेष्ठ मानी गई है। संभव न होने पर प्रात:काल या सायंकाल भी की जा सकती है।

व्रत के दिन स्वयं स्नान के बाद शनि देव की मूर्ति को पंचामृत स्नान कराएं, काली पूजन सामग्रियों व तेल से बने नैवेद्य चढ़ाएं।

शनि के शास्त्रों में बताए 10 शनि नामों का ध्यान कर पीपल को सूत का धागा लपेटते हुए 7 परिक्रमा करें। शनि की आरती करें। 

शनि कथा पढ़े या सुनें। विद्वान ब्राह्मण से यह कार्य कराए जाने पर दान-दक्षिणा, जिनमें काले या नीचे वस्त्र, तिल, तेल, लोहे सामग्री, जौ, काली उड़द व गुड़ व धन शामिल हो, अवश्य दें। 

धार्मिक मान्यता है कि ऐसे शनिवार व्रत व पूजा से होने वाली शनि कृपा व प्रसन्नता धन-वैभव से संपन्न कर पीड़ा व कष्टों का निश्चित रूप से शमन करती है।

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