काल पुरूष का दुःख माना गया है शनि
काल पुरूष का दुःख माना गया है शनि
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किसी की कुंडली में यदि शनि की स्थिति नीच की होती है तो न केवल उसे आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता है वहीं सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ ही परिवार में भी परेशानी उत्पन्न हो जाती है।

ज्योतिष शास्त्र में शनि की स्थिति अच्छी भी बताई गई है और यह माना जाता है कि यदि शनि की स्थिति उच्च की हो तो संबंधित जातक रंक से राजा तक बन जाता है।

वैसे शनि को काल पुरूष का दुःख मााना गया है। मानव शरीर को चंद्रमा से मन, मंगल से सत्व यानि रक्त, बुध से वाणी, एवं बृहस्पति से बुद्धि, शुक्र से वीर्य एवं शनि से रोग दुःख आदि प्राप्त हुए है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि कृष्ण वर्ण, तमोगुणी, पश्चिम दिशा का स्वामी, विद्या का कारक एवं लोहा, तेल, मशीनरी आदि के अधिपति है। शनि एक राशि पर ढाई वर्ष तक रहता है तथा प्रत्येक राशि पर चलने वाली साढ़े साती के तीन विभाग ढाई-ढाई वर्ष तक रहता है। जब भी साढ़े साती आती है तब मनुष्य अत्यंत कष्टमय जीवन का अनुभव करता है।

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