साल 2015 में तृणमूल को सताता रहा शारदा घोटाला
साल 2015 में  तृणमूल को सताता रहा शारदा घोटाला
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कोलकाता. कोलकाता से प्राप्त हो रहे समाचार के मुताबिक पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को 2015 में करोड़ों रुपयों का शारदा घोटाला सताता रहा, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक  इससे निकाय व पंचायत चुनावों या उपचुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर कुछ खास असर नहीं पड़ा. पार्टी इन चुनावों में भारी जीत दर्ज करने में कामयाब रही है. तृणमूल कांग्रेस की प्रतिद्वंद्वी माकपा ने अपना  खोया आधार हासिल करने की पुरजोर कोशिश की. बहरहाल, मार्क्सवादियों ने स्वीकार किया कि उनकी ताकत में अब भी कुछ थोड़ी बहुत सी ‘खामियां' हैं.

इस वर्ष के प्रारंभ सीबीआइ द्वारा तृणमूल के कुछ नेताओं के खिलाफ की गयी कार्रवाई के  साथ हुई. जिसे की बाद में पार्टी ने इसे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की ‘बदले की राजनीति' करार  दिया. सीबीआइ ने तृणमूल के नेता एवं पूर्व परिवहन मंत्री मदन  मित्रा को गिरफ्तार किया और पार्टी के पूर्व महासचिव मुकुल राय से पूछताछ भी की. पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के विश्वसनीय रह चुके मुकुल राय ने इस सब के बाद से ही खुद को पार्टी से दूर कर लिया.

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में तकरीबन फीसदी वोट हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी के लिए यह वर्ष कुछ ज्याद ही सफलतम नही रहा है. इस साल ज्यादा कुछ उम्मीद नहीं दिखी, क्योंकि वह निकाय और पंaचायत चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नही रहा है.

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