सलीम खान ने कहा, यदि हमलावर मुसलमान थे तो मैं नहीं
सलीम खान ने कहा, यदि हमलावर मुसलमान थे तो मैं नहीं
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नई दिल्ली : बॉलीवुड एक्टर सलमान खान के पिता सलीम खान ने ढाका में हुए टेररिस्ट अटैक की निंदा करते हुए कहा है कि यदि हमलावर किसी कारण से मुस्लिम है, तो फिर मैं नहीं हूं। रविवार की देर रात अपने चार ट्वीट में सलीम खान ने हमले पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि थोड़े-थोड़े वक्त बाद दुनियाभर में ऐसे हमलों में शामिल लोग खुद को मुस्लिम कहते हैं।

अपने दूसरे ट्वीट में उन्होने कहा कि एक मुस्लिम होने के लिए पैगम्बर और कुरान को फॉलो किया जाता है। मैं नहीं जानता कि ये लोग क्या फॉलो करते हैं, लेकिन वे इस्लाम को फॉलो नहीं करते हैं। यदि किसी वजह से वे मुस्लिम हैं, तो मैं नहीं। पैगम्बर कहते हैं कि एक निर्दोष इंसान को मारना इंसानियत को मारने के समान है। इस ईद पर हमारी प्रार्थना तब तक पूरी नहीं होगी, जब तक हम इसे घिनौने काम की निंदा नहीं करते।

बता दें कि इसे मामले में अभिनेता इरफान खान भी अपनी राय दे चुके है। बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने एक दिन पहले ही कहा था कि ये कैसे मुसलमान है, जो रमजान में बेसूरों को मार रहे है। इसके बाद रविवार को विवादित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा कि इस्लाम अमन का मजहब नहीं है।

इस पर बोलते हुए इरफान ने कहा कि इस घटना पर मुस्लिम समुदाय कैसे चुप है। बता दें कि शुक्रवार की रात को ढाका के एक पॉश एरिया में स्थित एक रेस्टोरेंट में कुछ आतंकी अल्लाहु-अकतबर के नारे लगाते हुए घुसे और कई लोगों को बंधक बना लिया। इनमें से कुरान का आयत सुनाने वाले कुछ लोगों को आतंकियों ने छोड़ दिया।

जब कि 20 विदेशी नागरिकों को तेज धार वाली हथियार से काट डाला। इनमें से अधिकतर इटली व जापान से थे। हमले के 10 घंटे बाद 100 कमांडोज ने आईएस के 9 में से 6 आतंकियों को मार गिराया। एक को मौके से ही पकड़ा गया और 2 की तलाश जारी है। रविवार को इरफान ने अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट करते हुए लिखा कि बचपन में मजहब के बारे में बताया गया था कि आपका पड़ोसी भूखा हो तो आपको उसको शामिल किए बिना अकेले खाना नहीं खाना चाहिए।

बांग्‍लादेश की खबर सुनकर अंदर अजीब वहशत का सन्नाटा है। कुरान की आयतें ना जानने की वजह से रमजान के महीने में लोगें का कत्‍ल कर दिया गया। हमला एक जगह होता है, बदनाम इस्‍लाम और पूरी दुनिया का मुसलमान होता है। ऐसे में क्या मुसलमान चुप बैठा रहे। या फिर उसे इस्लाम के सही मायनों को समझना चाहिए और दूसरों को बताना चाहिए कि जुल्म और नरसंहार इस्लाम नहीं है।

लेखिका तस्लीमा नसरीन ने अपने ट्वीट में कहा कि बांग्लादेश ग्लोबल टेरर में कॉन्ट्रिब्यूट करता रहा है। ढाका हमले के सभी आतंकी अमीर फैमिली से थे। वे काफी पढ़े-लिखे थे। कृपया यह न कहें कि गरीबी और कम पढ़ा लिखा होना ही लोगों को इस्लामिक आतंकी बनाता है। इंसानियत के लिए ये न कहें कि इस्लाम अमन का मजहब है। हमले के बाद शेख हसीना ने भी कहा था कि ये कैसे मुसलमान है जो रमजान के संदेश को ही नकार रहे है।

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