कभी होती थी तनहाइयों में भी मेरे होठों पर हँसी, आज महफिलों में भी मुझे दर्द-ऐ-दिल हुआ करता है. मेरे जीने की आरजू करते थे मेरे दुश्मन भी कभी, आज मेरा हमदर्द भी मेरी रुक्सती की दुआ करता है.