अस्थमा में अधिकतर हवा में पाये गये धूल, मिट्टी, धुएं के कण, जो सांस लेते हुए फेफड़ों तक जाते हैं, वे श्वासनली में रूकावट पैदा करते हैं. सांस के अलावा कभी-कभी कुछ खाने की चीजों से भी अस्थमा होता है. ऐसे में अचानक सांस फूलने, तेज खांसी आने, सीने में अजीब दर्द और थकावट महसूस होने लगती है. जब कभी ऐसा लगे तो सावधानी बरतना जरूरी हो जाता है.
- अस्थमा अटैक होने से बचने के लिए गर्मियों व सर्दियों में पोलन से बचें और खिड़की, दरवाजे बंद रखें. गर्मियों में एयर कंडीशनर का प्रयोग करें.
- अस्थमा अटैक के समय अधिक बातें न करें, राम से लेटें, शांत रहें ताकि सांस न फूले और सांस आसानी से ली जा सके.
- अपने देसी नुस्खों को मत अपनाएं. डाक्टर द्वारा बतायी गयी दवा का ही प्रयोग करें.
- घर में पर्दे आदि वही लगाएं जिन्हें आप जल्दी-जल्दी धो सकें ताकि उनमें धूल का कण अधिक देर ने टिक सकें.
- घर में किसी को भी अस्थमा हो तो घर पर कारपेट न बिछाएं, क्योंकि कारपेट में धूल मिट्टी के कण जमा होते रहते हैं.
- अस्थमा रोगियों को धूम्रपान करने वालों से दूर रहना चाहिए.
- अस्थमा रोगी का बेडरूम साफ-सुथरा होनी चाहिए. आवश्यकता होने पर कमरे में ह्यूमिडिफायर (नमी दूर करने की मशीन) लगायें. चादर, तौलिया, तकिए का गिलाफ अलग रखें और उन्हें सप्ताह में एक बार धोयें. 10-15 दिन में तकिए और गद्दे कोक धूप लगायें और उसकी मिट्टी को साफ करें.
- पालतू जानवरों से दूरी बना कर रखें.