नई दिल्ली: भारत में किराये की कोख को लेकर केंद्र नई नीति बनाने के लिए तत्पर हो गया है. इस मामले में किराये पर कोख देने की पाबंदी को हटाने के लिए महिलाओ में एक जुट होकर दिल्ली में ICRM के महानिदेशक को ज्ञापन सौपा दिया है. किराये की कोख वैश्विक तौर पर एक विवादित नैतिक मामला है. 30 महिलाए जो ज़्यादातर बंगाल से है अपने ज्ञापन में किराये पर कोख देने को नैतिक बताया है. अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए नियमो में ढील के लिए कहा है.
केंद्र वाणिज्यिक सरोगेट मां और सरोगेट मां से बच्चे पैदा करने से विदेशियों को रोकने के लिए कदम और कड़े करने के मूड में है. फ़िलहाल लाभ और परोपकर दोनों के लिए किराये की कोख कानूनी रूप से मान्य है. पर केंद्र वाणिज्यिक सरोगेट मां और सरोगेट मां से बच्चे पैदा करने से विदेशियों को रोकने के लिए कानून की पूरी तयारी में है. आने वाले कानून से उमीद है की लाभ के लिए कोख देना पूरी तरह बंद हो जाएगा पर रिश्तेदारो और परोपकार के लिए कोख किराए पर दी जा सकेगी. विदेशियो को भारत में सरोगेट मां सबसे सस्ते में मात्र 12 लाख में उपलब्ध हो जाती है. जिसमे से 4 लाख तक माँ को मिलते और बाकि दवाई सहित अन्य खर्चे में जाते है.