इस तरह जीने वाले व्यक्ति करते है दुनिया पर राज़
इस तरह जीने वाले व्यक्ति करते है दुनिया पर राज़
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किसी विचारक से पूछा गया- ‘वाट इज लाइफ?’ उत्तर मिला- ‘इट डिपेंडस अपॉन हाउ यू लिव।’ यानी यह इस बात पर निर्भर करता है कि तुम किस ढंग से जीवन जीते हो, जीवन के प्रति तुम्हारा नजरिया क्या है, जीवन में आने वाली परिस्थितियों को तुम कैसे स्वीकार करते हो। हम अपने जीवन का उपयोग किस रूप में करते हैं, यह हम पर ही निर्भर करता है। हमें अक्सर बताया जाता है कि जीवन को सफल बनाने के लिए जरूरी है, हम सिर्फ वर्तमान को ही न देखें, भविष्य की भी कुछ चिंता करें। इसमें कोई शक नहीं कि आने वाले समय की आहट को पहचानना एवं उसके प्रति जागरूक होना जरूरी है, परन्तु यह याद रखना और ज्यादा जरूरी है कि भविष्य की चिंता में डूबे रहना जीवन को उलझनें ही देता है। ऐसे में जे. एच. मिलर की यह उक्ति मदद कर सकती है कि चिंता से भागकर कभी नहीं बच सकते, परंतु यदि उसके प्रति स्वयं की मानसिकता बदला सकें तो चिंता को दूर भगा सकते हैं।

अज्ञान मिटे, भ्रम मिटे, व्यर्थ की चिंता से मुक्ति मिले, इन बातों का प्रयत्न बहुत जरूरी है। परन्तु यह काम ऊंची डिग्रियों वाली शिक्षा से ही हो जाए, जरूरी नहीं है। आज ऊंची शिक्षा पाने वाले एवं सुविधायुक्त जीवन जीने वाले लोग अधिक चिंतित एवं परेशान हैं। ज्ञान का संबंध एकमात्र शिक्षा के साथ ही नहीं है। हो सकता है उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी कोई ज्ञानी न बन पाए और हो सकता है कि निरक्षर होने के बावजूद कोई बहुत बड़ा ज्ञानी बन जाए। कबीर, दादू, रैदास आदि को तो उन्हें पढ़ाई-लिखाई का अवसर ही नहीं मिला, फिर भी उन्होंने न केवल अपने जीवन को सार्थक किया बल्कि असंख्य लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बने। जीवन तो उद्देश्यपूर्ण एवं अनूठा ही जीना चाहिए। दुनिया में ऐसा कोई अनूठा कार्य नहीं है, जिसे इंसान न कर सके। बस दिल में कामों के प्रति जुनून होना चाहिए। जितनी ज्यादा चाह है, उससे ज्यादा मेहनत करने की क्षमता एवं इच्छा ही हमारे जीवन को सफल बनाती है। जब हम स्वार्थ से ऊपर उठकर अपने समय को देखते हुए दूसरों के लिए कुछ करने को तैयार होते हैं तो हम वास्तविक एवं सकारात्मक जीवन जी रहे होते हैं।दूसरों से तुलना करने की आदत अक्सर हमारे दुखों में इजाफा करती है।

परन्तु इसी आदत को सुकून पाने का जरिया भी बनाया जा सकता है। उपाय यह है कि अगर कभी मन में ऐसा भाव जड़ जमाने लगे कि मैंने तो बहुत कुछ हासिल कर लिया, तो ऊपर की तरफ देखा जाए कि कितने ऐसे लोग हैं जो हमसे ऊपर हैं, हमसे कहीं ज्यादा हासिल करके बैठे हैं।मन में उठता अहं भाव तिरोहित हो जाएगा। ऐसे ही यदि कभी मन में निराशा घर करने लगे, ऐसा लगने लगे कि हमारा जीवन अभाव और दुखों से भरा है तब जरा नीचे की तरफ देखना चाहिए कि कितने लोग ऐसे हैं जो हमसे भी ज्यादा दुख में हैं, हमसे भी अधिक अभाव झेल रहे हैं। यह अनुभव आपके अंदर घर कर रही निराशा को खत्म कर सकता है। बुनियादी बात है आपका अपना नजरिया। वह ठीक रहता है तो कैसी भी स्थिति में पॉजिटिविटी आपका साथ नहीं छोड़ती। और इस पॉजिटिविटी के जरिए आप अपने जीवन को सोद्देश्य, सफल और सार्थक बना सकते हैं।

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