गुरूवार के दिन यूं तो श्री सांई बाबा की आराधना का दिन होता है। श्री सांई बाबा को श्रद्धालुओं द्वारा अपने गुरू के तौर पर माना जाता है। मगर उनकी आराधना और अर्चन के साथ ही श्रद्धालु भगवान दत्तात्रेय की आराधना भी करते हैं। भगवान दत्तात्रेय को त्रयमूर्ति कहा जाता है। भगवान की आमतौर पर ज़्यादातर प्रतिमाऐं तीन मुखों वाली होती हैं मगर क्या आपने एकमुखी दत्तात्रेय की प्रतिमा के दर्शन किए हैं। यह प्रतिमा बहुत ही दुर्लभ होती है। मगर इसके दर्शन और पूजन करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
दरअसल एकमुखी भगवान दत्तात्रेय बहुत ही कम होते हैं। भगवान का यह स्वरूप अत्यंत मनोहर है। मगर भगवान के इन स्वरूपों में तीन शक्तियों का प्रभाव होता है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्तियां एक मुखी दत्तात्रेय में भी होती हैं। दरअसल ऐसी ही एक प्रतिमा मध्यप्रदेश के उज्जैन में भैरवगढ़ में प्रतिष्ठापित हैं। भगवान की यह प्रतिमा बहुत ही मनोहारी है।
कालेपाषाण की यह प्रतिमा अत्यंत प्राचीन है। इस प्रतिमा के दर्शन करने प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु कालभैरव मंदिर पहुंचते हैं। श्री कालभैरव मंदिर में ही यह प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। भगवान के दर्शन लाभ लेकर श्रद्धालु असीम शांति का अनुभव करते हैं। श्रद्धालुओं श्री दत्तात्रेय से मन चाहा वरदान मांगते हैं। गुरूवार को भगवान दत्तात्रेय का विशेष पूजन और आराधना की जाती है।
भगवान को गुरूवार को श्रद्धालुओं द्वारा रेवड़ी, चिरौंजी दाने, पीले रंग का प्रसाद अर्पित किया जाता है। भगवान दत्तात्रेय के दर्शन करने से श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं। भगवान की यह मूर्ति इतनी तेजस्वी है कि श्रद्धालु मूर्ति के आकर्षण में बंध जाते हैं। श्रद्धालुओं द्वारा भगवान के दर्शन पाकर खुद को धन्य समझा जाता है। इस मूर्ति के दर्शन कर श्रद्धालु श्रद्धास्वरूप भेंट भी चढ़ातें हैं। माना जाता है कि एक मुखी दत्तात्रेय की प्रतिमा सर्वमनोकामना सिद्ध करने वाली होती है। श्रद्धालु भगवान के इस स्वरूप के दर्शन लाभ लेकर खुद को पुण्यवान समझते हैं। भारतभर में इस तरह की प्रतिमाऐं बेहद दुर्लभ हैं।