रेप पीड़िता को नहीं करवाना होगा टू-फिंगर टेस्ट
रेप पीड़िता को नहीं करवाना होगा टू-फिंगर टेस्ट
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नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने रेप पीड़ितों पर किए जाने वाले टू-फिंगर टेस्ट को मंजूरी देने वाला अपना सर्कुलर वापस ले लिया है। इसी के साथ सरकार ने उस अधिकारी के खिलाफ एक्शन लेने का फैसला भी किया है जिसने यह सर्कुलर जारी किया था। ज्ञात हो कि दिल्ली सरकार ने बलात्कार की जांच के लिएटू-फिंगर टेस्ट को उचित ठहराते हुए सरकारी अस्पतालों को एक सूचना जारी की थी। 14 पेज की इस सूचना में कहा गया था कि रेप की जांच के लिए पीड़ित की मर्जी के बाद यह टेस्ट किया जा सकता है। सूचना में यह भी बताया गया है कि डॉक्टर इस टेस्ट पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए बाध्य नहीं हैं।

डॉक्युमेंट के अनुसार इस टेस्ट को पूरी तरह बैन करना पीड़िता की हेल्थ के साथ खिलवाड़ करना और उसके साथ अन्याय करने जैसा होगा। टू फिंगर टेस्ट विशेषज्ञों के मुताबिक इस टेस्ट में डॉक्टर्स महिला के प्राइवेट पार्ट में दो उंगलियां डालकर ये जानने की कोशिश करते हैं कि उसे कोई अंदरूनी चोट या जख्म तो नहीं हैं। प्राइवेट पार्ट के अंदर से सैम्पल लेकर उसकी स्लाइड तैयार की जाती है। इस स्लाइड का लैब में टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट में रेप पीड़िता के प्राइवेट पार्ट के लचीलेपन की भी जांच की जाती है।

अंदर प्रवेश की गई उंगलियों की संख्या से डॉक्टर अपनी राय देता है कि ‘महिला एक्टिव सेक्स लाइफ’ में है या नहीं। इस टेस्ट का लंबे समय से विरोध करते रहे हैं। साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था, ‘टू फिंगर टेस्ट पीड़िता को उतनी ही पीड़ा पहुंचाता है जितना उसके साथ हुआ रेप। कोर्ट ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा था की इससे पीड़िता का अपमान होता है और यह उसके अधिकारों का हनन भी है। इस तरह का टेस्ट मानसिक पीड़ा देता है, सरकार को इस तरह के टेस्ट को ख़त्म कर कोई दूसरा तरीका अपनाना चाहिए।’ चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट राजमंगल प्रसाद ने इस पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है।

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