रेप पीड़िता ने अबाॅर्शन के लिए खटखटाया न्यायालय का दरवाजा
रेप पीड़िता ने अबाॅर्शन के लिए खटखटाया न्यायालय का दरवाजा
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नई दिल्ली : मुंबई की रेप पीड़ित युवती ने सर्वोच्च न्यायालय से अबॉर्शन की अपील की है। इस दौरान मुंबई की रेप पीड़ित महिला ने सुप्रीम कोर्ट में प्रेगनेंसी एक्ट 1971 को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती है। न्यायालय ने महिला की जांच हेतु मेडिकल बोर्ड का गठन किए जाने का आदेश दिया था। दरअसल दुष्कर्म पीड़िता ने इस मामले में आशंका व्यक्त की है कि प्रसव के दौरान या बाद में उसकी या शिशु की मृत्यु हो सकती है। दरअसल रेप पीड़िता न्यायालय की अनुमति के बिना गर्भपात अर्थात् अबाॅर्शन नहीं करवा सकती है।

इस मामले में यह बात सामने आई है कि मेडिकल टर्मिनेशन आॅफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 के अनुसार 20 सप्ताह से अधिक गर्भवती महिला का गर्भपात नहीं किया जा सकता। इस तरह के कानून को चुनौती देते हुए महिला ने याचिका दायर की है। रेप पीड़िता का कहना है कि भ्रूण सामान्य तौर पर विकसित नहीं हो रहा है।

ऐसे में उसके जन्म लेने के ही साथ मरने की संभावना भी है। हालांकि चिकित्सकों ने उसका गर्भपात करने से इन्कार कर दिया था। जिसके बाद उसने न्यायालय में वाद दायर किया। दुष्कर्म पीड़िता द्वारा कहा गया कि चारों ओर से निराशा गहराने के साथ व्यक्ति को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

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