फांसी के 1 दिन पहले ही रामप्रसाद बिस्मिल ने लिख दी थी बायोग्राफी
फांसी के 1 दिन पहले ही रामप्रसाद बिस्मिल ने लिख दी थी बायोग्राफी
Share:

जिस व्यक्ति को मालूम हो कि वह 3 दिन के पश्चात् इस दुनिया से चला जाएगा, ठीक उसी समय बायोग्राफी लिखने के लिए सामग्री मांगे, और 2 दिन के अंदर काल कोठरी में 200 पन्नों की बायोग्राफी लिख दे। ये है तो अचंभा, लेकिन सच यही है कि काकोरी ट्रेन डकैती के लीडर क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल ने अपनी बायोग्राफी फांसी के दिन से ठीक एक दिन पहले ही पूरी की थी। फांसी के दिन मिलने आई मां तो गुपचुप बाहर भेज दी आत्मकथा....

हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी के संस्थापक और शहीद सरदार भगत सिंह व अशफाक उल्लाह खां के गुरू शहीद राम प्रसाद बिस्मिल की जन्म 11 जून 1897 में हुआ। बिस्मिल मूलत: मुरैना के गांव रुअर-बरवाई के रहवासी थे।

- हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी (HRA) के संस्थापक क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल को काकोरी ट्रेन डकैती के केस में उनके साथियों अशफाक़ उल्लाह खान, रोशन सिंह और राजेंद्र लाहिड़ी के साथ अंग्रेज सरकार ने मुकदमे के उपरांत फांसी की सजा सुना दी गई थी।

- तय हुआ था कि बिस्मिल को 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी जाएगी। 17 दिसंबर को उनके साथी राजेंद्र लाहिड़ी को तय समय से पहले ही उत्तरप्रदेश की गोंडा जेल में अचानक फांसी दी गई।

- खबर गोरखपुर जेल में कैद बिस्मिल तक पहुंच, तो उन्होंने बायोग्राफी लिखने का निर्णय कर लिया। क्रांतिकारियों से सहानुभूति रखने वाले कुछ अफसरों ने खुफिया तौर पर उन्हे सामग्री मुहैया करवा दिया। बिस्मिल ने दो दिन में 18 दिसंबर को अपनी 200 पन्नों की बायोग्राफी को कम्पलीट कर लिया।

- 19 दिसंबर को फांसी के ठीक पहले उनकी मां अंतिम मुलाकात के लिए जेल आई हुई थी। उनके साथ HRA के सदस्य शिवचरण वर्मा भी बेटा बनकर जेल पहुंच गए। मुलाकात से वापसी के साथ ही खाने के डिब्बे में रख कर शिवचरण वर्मा बिस्मिल की आत्मकथा को अपने साथ लेकर चले गए।

- बिस्मल ने ये किताब इस शेर के साथ पूरी की:
मरते बिस्मिल, अशफाक़, रौशन, लाहिड़ी अत्याचार से।
होंगे पैदा सैकड़ों उनके रुधिर की धार से।।

- किताब पूरी करने और उसे बाहर भेज देने के उपरांत निश्चिंत भाव से 19 दिसंबर 1927 को वैदिक मंत्रों के जाप और ‘ब्रिटिश साम्राज्यवाद का नाश हो’ के नारों के साथ बिस्मिल ने हंसते हुए खुद ही फांसी का फंदा अपने गले में डाल दिया था।

- ‘बिस्मिल’ के मेरा गीत रंग दे बसंती चोला....को क्रांतिकारी जेल में गाकर अपना हौसला बढ़ाते थे।

प्रकाशित होते ही हो गई जब्त :

- बता दें कि क्रांतिकारी शिवचरण वर्मा के बड़े भाई भगवतीचरण वर्मा के प्रयासों से बिस्मिल की आत्मकथा का प्रकाशन हुआ, लेकिन कुछ प्रतियां ही बंट सकी थीं कि अंग्रेज सरकार ने सभी उपलब्ध प्रतियों को जप्त कर लिया गया था।

- दूसरी बार क्रांतिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी ने बिस्मिल की आत्मकथा प्रकाशित करवाई थी, लेकिन इसे भी ब्रिटिश सरकार ने जप्त कर प्रतिबंध लगा दिया।

- इसके बाद इसका प्रकाशन 1988 में बनारसी दास चतुर्वेदी ने कराया।

अब छत्तीसगढ़ में हुई अनोखी शादी! एक प्रेमी-दो प्रेमिका, एक मंडप में ही दोनों के साथ लिए 7 फेरे

'नूपुर शर्मा का गला काटने की धमकी..', मौलाना के जहरीले भाषण के बाद जम्मू कश्मीर में पथराव

ईसाई से हिन्दू बने 268 लोग, ऐसे बदला मन

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -