नई दिल्ली: इस्लामाबाद में आयोजित सार्क देशों के गृहमंत्रियों के सम्मेलन में पाकिस्तान को उसीकी जमीन पर खरी-खरी सुनाने के बाद बिना लन्च लिए राजनाथ सिंह गुरुवार को स्वदेश लौट आए. अब वे बैठक से जुड़ी अहम बातें पीएम नरेंद्र मोदी को बताएंगे. भारत पहुंचने के बाद राजनाथ सिंह ने कहा, ‘मैंने भारत का रुख़ इस्लामाबाद में साफ़ कर दिया है. मैं अब संसद में बोलूंगा.’
राजनाथ सिंह के इस दौरे में भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तल्खी साफ नजर आई. राजनाथ पाकिस्तानी गृहमंत्री की मेजबानी में आयोजित लंच में भी शामिल नहीं हुए और बिना खाना खाए ही लौट आए. दरअसल, पाक गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान इस लंच में नहीं पहुंचे थे, इसलिए राजनाथ ने भी कार्यक्रम का बहिष्कार किया.
इसके पूर्व गृहमंत्रियों के सम्मेलन में राजनाथ ने पाकिस्तान को खूब आड़े हाथों लिया. राजनाथ ने कहा कि आतंकियों को शहीद के तौर पर महिमंडित नहीं किया जाना चाहिए. राजनाथ केअनुसार , न केवल आतंकियों बल्कि आतंक का समर्थन करने वाले देशों और संगठनों से भी कड़ाई से निपटा जाना चाहिए. इस बयान में पाकिस्तान के लिए बिलकुल साफ सन्देश था. दरअसल, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में मारे गए हिजबुल आतंकी बुरहान वानी को पाकिस्तान ने शहीद घोषित करते हुए काला दिवस मनाने का फैसला किया था.
पाकिस्तान मेजबानी का फर्ज भी ठीक से निभा नहीं पाया. सार्क सम्मेलन में राजनाथ के बयान को पाकिस्तान मीडिया में ब्लैकआउट कर दिया गया. किसी भी चैनल या न्यूज वेबसाइट पर उनका बयान नहीं चलाया गया. मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया कि हिंदुस्तानी रिपोर्टरों को भी कार्यक्रम से दूर रखा गया. इसके बाद, पत्रकारों और पाक अफसरों में कहासुनी भी हुई
भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों की कड़वाहट और तल्खी साफ नजर आई.जब राजनाथ और पाकिस्तानी गृह मंत्री का आमना-सामना हुआ तो दोनों ने औपचारिक हाथ भी नहीं मिलाया. बस एक दूसरे का हाथ छूकर औपचारिकता पूरी की. इसके बाद राजनाथ आगे बढ़ गए.
गौरतलब है कि राजनाथ के पाक दौरे से पहले ही उनका विरोध शुरू हो गया था। मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद ने इस दौरे का विरोध किया था. वहीं, पठानकोट हमलों को अंजाम देने में अहम रोल निभाने वाले सैयद सलाउद्दीन ने रैली निकालकर राजनाथ के पाकिस्तान दौरे का विरोध किया था.
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