राजीव बिंदल भाजपा अध्यक्ष पद पर काबिज होने के बाद पंचायत चुनाव के आ सकते है बेहतर नतीजे
राजीव बिंदल भाजपा अध्यक्ष पद पर काबिज होने के बाद पंचायत चुनाव के आ सकते है बेहतर नतीजे
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भाजपा के मुखिया डॉ. राजीव बिंदल के कंधों पर अब जिम्मेदारियों का बोझ है तो चुनौतियां भी कम नहीं होती है । इसके अलावा पंचायत चुनाव के बाद वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मिशन रिपीट का उन पर दबाव रह सकता है । इसके अलावा, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को एक सूत्र में पिरोना भी उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती रह सकता है । डॉ. बिंदल के मंत्रिमंडल में शामिल होने की उम्मीद लगाई जा रही थीं परन्तु , अचानक बदले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद वह भाजपा के मुखिया बन गए। वही एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले डॉ. बिंदल स्वास्थ्य मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष के पदों से होते हुए अब प्रदेश अध्यक्ष बने हैं। विधानसभा अध्यक्ष पद पर काबिज रहते हुए अक्सर विपक्ष ने उन्हें निशाने पर लेने की कोशिश की जा सकती है। पच्छाद उपचुनाव में विपक्ष ने उनके कथित चुनाव प्रचार को मुद्दा बनाकर प्रदर्शन तक कर डाले। राजनीतिक गलियारों में आम चर्चा है कि अब प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद बिंदल राजनीति की बिसात पर चेक एंड मेट का खेल खेलेंगे तो संगठन को और ज्यादा मजबूत बनाने के लिए जरूरी ‘उपचार’ भी कर सकते है । 

नगर परिषद से विधानसभा तक का सफर
1995 से 2000 तक सोलन नगर परिषद के अध्यक्ष पद पर रहने के बाद विधानसभा में पहली पारी 2000 में शुरू की जा रही है । उप चुनाव जीतते ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दायित्व मिल गया है । पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में कुशल प्रबंधक के तौर पर पहचान रखने वाले बिंदल का जन्म उत्तर भारत के नामी वैद्य व समाजसेवी बाल मुकुंद के घर 12 जनवरी 1955 को हुआ है ।  

आदिवासी इलाकों में रहे प्रचारक
डॉ. बिंदल ने संघ के प्रचारक के रूप में आदिवासी क्षेत्रों में भी कार्य करने का निर्णय लिया था। लगभग ढाई साल तक झारखंड में ही निशुल्क चिकित्सालय का नेतृत्व करते रहे। डॉ. राजीव बिंदल ने 1975 में इमरजेंसी के दौरान जेल भी भुगती। 1983 में पैतृक शहर सोलन में चिकित्सा कार्य शुरू किया। 1995 में पहली बार राजनीतिक जीवन में कदम रखा जा रहा है। पांच साल तक नगर परिषद अध्यक्ष रहने के बाद 2000 में उप चुनाव जीता। 2003 में सोलन हलके से दूसरी बार विधायक बने। 2007 में चुनाव जीतने की हैट्रिक बना ली है । डि-लिमिटेशन के बाद चुनाव क्षेत्र बदलकर उन्हें नाहन से मैदान में उतारा गया है । 2017 में नाहन से दूसरी बार चुनाव जीत गए। संगठनात्मक कौशल व अनुभव की वजह से पार्टी ने उन्हें हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर चुनाव में कई बार महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी है ।

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