गुजरात : चौदह सालों से गुजरात दंगों का चेहरा बने कुतुबुद्दीन अंसारी ने राजनीतिक दलों से उनकी तस्वीर का इस्तेमाल बंद करने की अपील की है. अंसारी ने कहा कि उसकी जिंदगी इस राजनीतिक खेल से बहुत कठिन हो चुकी है. 2002 के गुजरात दंगों का चेहरा बने कुतुबुद्दीन अंसारी का मानना है कि असम और पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने उनकी तस्वीर का गलत इस्तेमाल किया है. कुतुबुद्दीन पेशे से दर्जी हैं.
कुतुबुद्दीन अंसारी उस वक्त 29 साल के थे, जब आंखों में आंसू लिए जिंदगी की भीख मांगते एक नौजवान की तस्वीर 2002 दंगे की तस्वीर बन गई.
अंसारी ने कहा, 'मैं अब 43 साल का हूं और बीते 14 सालों से राजनीतिक दलों, बॉलीवुड और यहां तक कि आतंकी संगठनों ने मेरी उस तस्वीर का गलत तरीके से इस्तेमाल किया है. काश, मैं उसी दौरान मर जाता क्योंकि मैं अपने बच्चों को इस सवाल का जवाब नहीं दे सकता कि आखिर क्यों मेरी रोती और भीख मांगती हुई तस्वीर पेश की जाती है.'
आप को बता दें कि असम और पश्चिम बंगाल के विधान सभा क्षेत्रों में कुतुबुद्दीन की इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है. तस्वीर के साथ कुछ ऐसे कैप्शन दिए गए- 'क्या मोदी के गुजरात का मतलब विकास है? क्या आप असम को दूसरा गुजरात बनाना चाहते हैं? फैसला आपका है. असम में कांग्रेस का विकल्प कांग्रेस ही है.'