आखिर कैसे ब्रिटेन की महारानी बनी एलिज़ाबेथ?
आखिर कैसे ब्रिटेन की महारानी बनी एलिज़ाबेथ?
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भारत पर करीब 200 साल तक राज करने वाले ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय अब इस दुनिया में नहीं रहीं। उनका निधन हो गया है। करीब 7 दशक से क्वीन एलिजाबेथ शाही परिवार, ब्रिटेन की रियासत को संभाल रही हैं। साल 1947 में जब भारत अपनी आजादी की तैयारियों में जुटा था, उस समय एलिजाबेथ ने प्रिंस फिलिप से शादी कर ली थी। जी हाँ और ब्रिटेन के शाही परिवार ने बड़े धूमधाम से इस शादी का जश्न मनाया। इस शादी के कुछ वक्त बाद ही प्रिंस फिलिप, एलिजाबेथ शाही परिवार के लिए अपनी ड्यूटी में लग गए। कहा जाता है शादी के करीब पांच साल बाद यानी साल 1952 में प्रिंस फिलिप, प्रिंसेस एलिजाबेथ केन्या के दौरे पर थे।

जी दरअसल, किंग जॉर्ज छह की तबीयत काफी खराब रहती थी और उनका ऑस्ट्रेलिया दौरा बार-बार टल रहा था। ऐसे में तय हुआ था कि केन्या में छुट्टियां मनाने के बाद एलिजाबेथ और फिलिप ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेंगे। हालाँकि केन्या के इसी दौरे पर 6 फरवरी, 1952 को सबकुछ बदल गया। जी दरअसल काफी लंबे वक्त से बीमार चल रहे एलिजाबेथ के पिता किंग जॉर्ज का निधन हो गया, और उसके बाद खबर मिलने के बाद एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप को अपनी छुट्टियां रद्द कर तुरंत वापस ब्रिटेन आना पड़ा। यह घटना उस समय हुई जब एलिजाबेथ की उम्र सिर्फ 25 साल थी और उसके बाद सब बदल गया। जॉर्ज छह के निधन के बाद ये साफ हो गया था कि अब ब्रिटेन को नई महारानी मिलने वाली थी। ऐसे में एलिजाबेथ ब्रिटेन से केन्या जब रवाना हुईं तब वह एक राजकुमारी थीं, लेकिन जब वो लौटीं तो एक महारानी के रूप में लौटीं।

6 फरवरी, 1952 को एलिजाबेथ द्वितीय ब्रिटेन की महारानी नियुक्त हुईं, 2 जून 1953 को उनका आधिकारिक रूप से राज्याभिषेक किया गया। उसके बाद दूसरे विश्व युद्ध में भले ही ब्रिटेन को जीत मिल गई हो, लेकिन उसके बाद से ही वह कमजोर होने लगा था। जी हाँ और यही कारण था कि जिन देशों पर ब्रिटेन का राज था, वहां से वह हटना शुरू हो गया था और सत्ता स्थानीय सरकारों को सौंपना शुरू कर दिया था। जी हाँ और भारत भी उनमें से ही एक देश था, लेकिन इसी कमजोर वक्त के बीच क्वीन एलिजाबेथ को ब्रिटेन की कमान मिली थी।

साल 1953 में राज्याभिषेक के बाद क्वीन एलिजाबेथ ने आधिकारिक रूप से अपना कामकाज संभाला। उसके बाद साल 1961 में क्वीन एलिजाबेथ ने घाना का दौरा किया था, तब घाना कई मुश्किलों से जूझ रहा था और उसके ऊपर एक तानाशाह का खतरा भी मंडरा रहा था। लेकिन तमाम मुश्किलों के बाद क्वीन एलिजाबेथ ने यहां का दौरा किया, विवाद को अपने दम पर हल किया और इसी दौरे ने एक युवा महारानी के ओहदे को दुनिया की नज़रों में बढ़ा दिया। जी दरअसल घाना 1957 में ही आजाद हुआ था और उसके बाद से ही वहां पर हिंसा का दौर चल रहा था।

1961 में महारानी को वहां का दौरा करना था, लेकिन तत्कालीन सरकार ने उन्हें ना जाने की सलाह दी। इस सलाह को दरकिनार करते हुए महारानी ने घाना का दौरा किया, महारानी के पहुंचने से पांच दिन पहले ही घाना की राजधानी पर बम से हमला हो गया था। इसके बावजूद महारानी ने अपने दौरे को पूरा किया, घाना के शासक, आम लोगों के साथ वक्त बिताया और अंतत: ये सफल दौरा हुआ। उसके बाद देखते ही देखते एलिजाबेथ द्वितीय ब्रिटेन की सफल महारानी बन गई।

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