लहलहाते खेत, बड़ी नहरें और इन खेतों व नहरों के पास से उठती मक्के की रोटी की गंध। किसे अपनी ओर आकर्षित नहीं करेगी। इस बार यहां चुनावी वर्ष है। चुनावी वर्ष में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत कई राजनीतिक दल अपनी शक्ति लगाकर चुनाव प्रचार में जुटे हैं। ऐसे में नेताओं द्वारा एक दूसरे का अदब किया जा रहा है मगर बेअदबी भी कम नहीं हो रही है। अब यह बेअदबी इंसानों की हो तो फिर भी कुछ हद तक ठीक है मगर यहां तो धर्म ग्रंथों की बेअदबी का माहौल बना दिया गया है।
कथित तौर पर यह सब राजनेताओं के प्रश्रय से हो रहा है। पहले श्री गुरूग्रंथ साहिब की बेअदबी अब कुरान - शरीफ की बेअदबी हो रही है। आरोपी कभी श्री गुरू ग्रंथ साहिब की प्रतियों के पन्नों को फाड़कर यहां - वहां बिखेर देते हैं और कभी कुरान शरीफ के पन्नों को फाड़कर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में फैंक देते हैं आखिर यह सब किसलिए। शांत पंजाब को गर्म कर राजनीति की रोटियां सेंकने के लिए। केवल इसलिए क्योंकि चंद वोट किसी विशेष के पास आ जाऐं और सत्ता के गलियारे का रास्ता उसके लिए साफ हो जाए।
मगर उनका क्या जो खेतों में वर्षों से मेहनत कर रहे हैं। उनका क्या जो अपने बच्चों को नशे की लत से छुटकारा दिलवाने के लिए कई तरह के जतन कर रहे हैं। उन आंखों का क्या जो आतंक की भयावहता का रूदन करते हुए पथरा गई हैं। आखिर पंजाब में शांति, सुरक्षा, विकास, रोजगार, खुशहाली कब बहाल होगी। क्या इस तरह से माहौल भड़काने से किसी को अपना मकसद मिल जाएगा।
इस मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक पर आरोप लगे हैं। ऐसे में इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि धर्म, पंथ, संप्रदाय आधारित थोथी राजनीति कब बंद होगी। आखिर नफरत की इस आग से नेता कब तक अपनी रोटियां सेंकते रहेंगे। क्या विकास के मसले पर वोट बैंक का यह मसला चुनाव में भी हावी रहेगा। इन सभी सवालों के जवाब में ही पंजाब का विकास और भविष्य टिका है।
'लव गडकरी'