नई दिल्ली : दालों को लेकर सरकार के दावों और दालों के भावों के बीच अंतर साफ नजर आ रहा है. बता दें कि केंद्र सरकार ने दावा किया है कि पिछले एक वर्ष के दौरान दालों के दाम करीब 30 प्रतिशत तक घटे हैं. अच्छी फसल की वजह से चना दाल की कीमतें और नीचे आने की उम्मीद है. लेकिन इसके विपरीत उम्मीद और दावों के बीच गुरुवार को अचानक चना दाल के दाम 500 रुपये बढ़कर 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के पार पहुंच गए.
गौरतलब है कि गुरुवार को कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा की अध्यक्षता में हुई दलहन खरीद पर सचिवों की समिति (सीओएस) की बैठक में समिति ने बफर स्टाक की स्थिति की समीक्षा की और कहा कि अभी तक 16.46 लाख टन दलहन की खरीद हुई है. इसमें से चालू खरीफ सत्र में आठ लाख टन तुअर दाल की खरीद किसानों से 50.50 रुपये प्रति किलोग्राम के समर्थन मूल्य पर की गई.
ऐसी सम्भावना है कि सरकार और दलहन संगठनों के आंकड़ों में अंतर को देखते हुए सरकार आयात शुल्क लगा सकती है. बाजार में इस तरह की खबरों ने दालों की कीमतों को हवा देना शुरू कर दिया है. सिर्फ एक दिन में चना दाल करीब 500 रुपये महँगी होकर 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के पार पहुंच गई . चने के साथ ही तुअर यानी अरहर दाल के दाम भी बढ़कर अमरावती में 8,250 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए.
बता दें कि केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के अनुसार इस वर्ष करीब 221 लाख टन पैदावार होने और दलहन की खपत 220 लाख टन रहने का अनुमान है. इस दृष्टि से इंडियन पल्सेज एंड ग्रेन्स एसोसिएशन का कहना है कि दालों की मांग बढ़ना स्वाभाविक है.
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