बोर्ड परीक्षा के दौरान बच्चो को इन बातो का रखना चाहिए ध्यान
बोर्ड परीक्षा के दौरान बच्चो को इन बातो का रखना चाहिए ध्यान
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बोर्ड परीक्षा अब करीब आ गई है।इसके अलावा  ऐसे में छात्र अच्छे अंक लाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। परन्तु परीक्षा की तैयारियों में लगे छात्रों को दिनचर्या और खानपान में भी सतर्कता बरतनी हो सकती है । यहां हम आपको ऐसे कुछ टिप्स बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप खुद को तरो-ताजा और परीक्षा के लिए तैयार कर सकते हैं। बेकार चीजों में अपना समय बर्बाद न होने दें। वही खासकर मोबाइल और इंटरनेट से दूर ही रहें। अपने ऊपर दबाव हावी न होने दें। वही सबसे अहम बात पढ़ने का समय निश्चित करें। इसके अलावा हो सके तो ब्रह्य मुहूर्त में पढ़ाई करें। ब्रह्म मुहूर्त में पढ़ाई करने के फायदे तो हैं परन्तु यह तभी मुमकिन है जब नींद पूरी हो चुकी हो। इसके लिए आपको जल्दी सोना होगा। यदि आंखों में नींद भरी तो किताब खोलकर बैठने का कोई फायदा नहीं। वही मनोचिकित्सकों का कहना है कि सुबह चार बजे स्मरण कराने वाले और एकाग्रता बनाने वाले हार्मोन्स सक्रिय रहते हैं। इसके साथ ही दिमाग का तीसरा नेत्र कही जाने वाली पीनियल ग्रन्थि भी इसी वक्त सक्रिय रहती है।

यह ग्रंथि मेलाटोनिन हार्मोन पैदा करती है, जो बायोलॉजिकल क्लॉक का नियंत्रण करती है। वही अंधेरे-प्रकाश के सिग्नल के मुताबिक बायोलॉजिकल क्लॉक इलेक्ट्रिक ऊर्जा सक्रिय करती है। हजारों सालों से शरीर की यह दिनचर्या रहने के कारण सुबह हार्मोन्स तड़के चार बजे से सूर्य उगने से पहले तक ज्यादा प्रभावी रहते हैं।मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय के डॉ. दिनेश राठौर बताते हैं कि शरीर बॉयोलॉजिकल क्लॉक पर कार्य करता है। वही हजारों सालों से शरीर ब्रह्म मुहूर्त में जगने और रात को जल्दी सोने में ढल चुका है। इसके साथ ही ऐसे में इस वक्त मस्तिष्क और हार्मोन ज्यादा सक्रिय रहते हैं। वही सुबह चार बजे के बाद नींद के लिए जिम्मेदार मेलाटोनिन घटता है। एड्रीनलीन एवं अन्य हार्मोन्स की मात्रा बढ़ने से एकाग्रता, स्फूर्ति और ऊर्जा का संचार अधिक रहता है। ऐसे में तड़के पढ़ाई करना विद्यार्थियों के लिए ज्यादा फायदेमंद है।लेकिन स्वस्थ दिनचर्या अपनाने पर ही ब्रह्म मुहूर्त का लाभ लिया जा सकता है। वही शरीर को कम से कम छह घंटे की नींद जरूरी है। ऐसे में विद्यार्थियों को देर रात जगने के बजाय सुबह जल्दी जगने की आदत डालनी होगी। इसके लिए जरूरी है कि रात को छात्र नौ या अधिकतम दस बजे तक सो जाएं।

ऐसे में उनकी छह घंटे से अधिक की नींद पूरी हो जाएगी और वह ब्रह्म मुहूर्त में तरोताजा होकर जागेंगे।छात्रों को दिनचर्या के साथ खानपान में भी सतर्कता बरतनी होगी। ऐसे विद्यार्थी चाय-कॉफी से बचें और हाई प्रोटीनयुक्त भोजन ज्यादा करें। दो बार के बजाय चार किस्तों में भोजन करना ज्यादा फायदेमंद है। वही दिनचर्या और खानपान में सुधार करने से उनकी तैयारी बेहतर होगी, बीमारियों से बचाव भी रहेगा। एसएन मेडिकल कॉलेज की डायटीशियन मिनी शर्मा बताती हैं कि बच्चों को हाई प्रोटीनयुक्त भोजन की जरूरत रहती है। वही खासतौर से परीक्षा की तैयारी में जुटे बच्चों को फास्ट फूड, गरिष्ठ भोजन कतई न दें। बच्चों को दूध, पनीर, चना, फल ज्यादा खिलाएं। इसके साथ ही चाय-काफी के बजाय सूप को तरजीह देनी चाहिए। बच्चों को बैलेंस डाइट देनी चाहिए। वही इसमें पूरे दिन में 60 से 100 ग्राम तक दाल, 150-200 ग्राम तक मौसमी और हरी सब्जी, चपाती, रायता, चावल जरूरी हैं। दिन में दो बार भोजन करते हैं तो उसे चार किस्तों में कर दें। दलिया और खिचड़ी भी ले सकते हैं। ऐसा करने से शरीर में पर्याप्त उर्जा रहेगी, आलस नहीं रहेगा।

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