उज्जैन: सिंहस्थ की तैयारियों में जुटे अधिकारियों को निश्चित ही सिंहस्थ के आयोजन को लेकर चिंता है और यही कारण है कि अधिकारियों द्वारा न केवल समय-समय पर निर्माण कार्यों आदि की समीक्षा की जाती है, वहीं स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी तैयारियों पर निगाहें रखे हुए है। हाल ही में प्रशासनिक अधिकारियों का एक दल नासिक में चल रहे कुंभ का दौरा करके उज्जैन लौटा है। अधिकारियों का कहना है कि वे नासिक कुंभ की व्यवस्थाओं को देखने के लिए गये थे, ताकि वहां की तरह उज्जैन में भी व्यवस्थाओं को अंजाम दिया जा सके। इसके बाद अब यह आस बंधी है कि नासिक की व्यवस्थाओं को उज्जैन में लागू कर लोगों को सुविधा प्रदान करेंगे।
लेकिन यह कहना प्रासंगिक होगा कि उज्जैन व नासिक में जमीन आसमान का फर्क है इसलिए अधिकारियों को सिर्फ और सिर्फ उज्जैन के हिसाब से ही तैयारियों को अंजाम देने पर बल देना चाहिए। नासिक तथा उज्जैन की भौगोलिक स्थिति में तो फर्क है ही संस्कृति भी अलग है। उज्जैन में श्री महाकालेश्वर शहर के बीचो-बीच स्थित है और यहां सिंहस्थ के दौरान निश्चित ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी, अर्थात जो लोग सिंहस्थ आयोजन में आएंगे वे महाकाल दर्शन करने के लिये अवश्य ही पहुंचेंगे, इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों को सिंहस्थ क्षेत्रों के साथ ही महाकालेश्वर मंदिर में भी भीड़ प्रबंधन के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत होगी। रही बात नासिक की तो वहां कुंभ परिक्षेत्र दो हिस्सों में बंटा हुआ है।
एक हिस्सा नासिक में है और दूसरा हिस्सा त्र्यंबकेश्वर में। बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर नासिक से दूर स्थित है इसलिये भीड़ का दबाव नासिक में पूरी तरह से नहीं रहता है तो वहीं नासिक के कुंभ की अवधि भी उज्जैन के सिंहस्थ से अधिक होती है। इसी तरह दोनों शहरों की भौगोलिक स्थिति भिन्न है। लिहाजा भले ही अधिकारियों ने नासिक की व्यवस्थाओं का जायजा लिया हो लेकिन अंततः उन्हें उज्जैन की परिस्थितियों के हिसाब से व्यवस्थाएं करना होगी। इसके अलावा यहां उल्लेखनीय है कि नासिक में आयोजित होने वाले कुंभ महापर्व का प्रचार-प्रसार सीमित दिखाई दे रहा है, जबकि उज्जैन के सिंहस्थ का प्रचार-प्रसार व्यापक स्तर पर किया जा रहा है और इसके चलते पांच करोड़ से अधिक लोगों के आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
रेडियो, टीवी चैनलों के माध्यम से तो सिंहस्थ का निमंत्रण दिया ही जा रहा है वहीं मुख्यमंत्री श्री चैहान स्चंय भी विदेशों में जाकर आमंत्रण दे आए है। अतः यह तय है कि हो सकता है कि अपेक्षा आंकडे से अधिक भी भीड़ उज्जैन में उमड़ जाए। प्रशासनिक स्तर पर व्यवस्थाएं की जा रही है, इसमें कोई दोराय नहीं है, बावजूद इसके जो कमजोरियां है उन्हें दूर करने की जरूरत है और यह भी जरूरी है कि नासिक की व्यवस्थाओं को अंगीकार किया जाए, परंतु उज्जैन की भौगोलिक व स्वभाव के रूप को भी दरकिनार न होने दिया जाए।