दुनिया भारत से सीखे सहिष्णुता और संवेदना का पाठ
दुनिया भारत से सीखे सहिष्णुता और संवेदना का पाठ
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नई दिल्ली : भारतविदों के पहले अंतरार्ष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के माहौल को देखते हुए फिर से सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया। विवेकानंद के विचारों को सबके सामने रखते हुए मुखर्जी ने कहा कि दुनिया को अभी भारत से न सिर्फ सहिष्णुता ब्लकि संवेदना का विचार भी सीखना है। इसी के लिए भारत जाना जाता है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि दुनिया अभी असहिष्णुता के बदतरीन आघात से निबटने के लिए संघर्ष कर रहा है और यह आज के भारत की जटिल विविधता को एकजुट रखने वाले मूल्यों को बल प्रदान करने और दुनिया भर में उसके प्रचार-प्रसार करने का समय है।

ऐसे वक्त में खुद को उच्च मूल्यों, लिखित और अलिखित संस्कारों, कर्तव्यों और जीवन-शैली की याद दिलाने से बेहतर कोई रास्ता नहीं हो सकता जो भारत की आत्मा है। दादरी में हुई घटना और साहित्यकारों के अवॉर्ड लौटाए जाने पर मुखर्जी सहिष्णुतता और बहुलवाद के लिए अपील कर रहे है।

उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि अगले तीन दिन तक आपका विमर्श यह उजागर करेगा कि किस तरह बहुलवाद और बहु-संस्कृतिवाद भारतीय जनमानस के केंद्र में है। राष्ट्रपति ने जर्मनी के प्रोफेसर एमेरिटस हेनरीख फ्रीहेर वोन स्तीतेनक्रोन को प्रतिष्ठित भारतविद् पुरस्कार से सम्मानित किया। यह सम्मान भारत-विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान पर दिया गया।

विदेश मंत्रालय एवं भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की ओर से पुरस्कार के तहत 20 हजार डॉलर और एक प्रशस्तिपत्र दिया जाता है। इस दौरान विदेशमंत्री सुषमा स्वराज भी उपस्थित थीं। मुखर्जी ने दुनिया भर की युवा पीढी से आयुर्वेद और अन्य प्राचीन उपचार प्रणालियों को पढने और उससे लाभ उठाने को कहा।

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