कोलकाता : देश में धोखाधड़ी के मामले बढ़ते ही जा रहे है, इन मामलों में हाल ही में एक और मामला सामने आया है. यहाँ एक पोस्टल एजेंट ने करोडो का चुना लगा कर बचने के लिए साधू का वेश धारण कर लिया. फिर सीबीआई की टीम ने भी साधू बन भगोड़े को अपने कब्जे में ले लिया. इसने दस साल से पुलिस की नाक में दम कर रखा था.
क्या है मामला
इस साधू ने पोस्टल एजेंट के रूप में फर्जी किसान विकास पत्र बेचकर लोगों के साथ ढाई करोड़ रूपए से ज्यादा रुपए का झोल किया है. इसके बाद क़ानून की गिरफ्त से बचने के लिए इस एजेंट ने साधू का रूप धारण कर लिया. कानून प्रवर्तन एजेंसियों की नाक में दस साल तक दम करने वाला बद्रीनाथ के स्वामी दुर्गेश महाराज को आज पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया है. दुर्योधन मिश्रा उर्फ दुर्गेश महाराज जो बद्रीनाथ में साधु के वेश में निवास कर रहा था उसे सीबीआई के अधिकारियों की टीम ने अपने कब्जे में ले लिया है.
पोस्टल एजेंट का काम करता था
दुर्योधन मिश्रा उर्फ दुर्गेश महाराज मधुबनी का रहने वाला है. 1990 के दशक में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कोलकाता में निवास करता था और किसान विकास पत्र आदि के लिए पोस्टल एजेंट का कार्य करता था.
सीबीआई से प्राप्त जानकारी के आधार पर मिश्रा ने कोलकाता में एक डाक सहायक तथा एक अन्य व्यक्ति के सहयोग से कथित रूप में 2.63 करोड़ रूपए मूल्य के 263 फर्जी किसान विकास पत्र जारी किए. सीबीआई के आधार पर प्राप्त राशि का दोनों ने आपस में विभाजन कर लिया. सीबीआई ने 2004 में जांच की कमान संभाली और इसमें तीनों के बीच सांठगांठ की बात सामने आई. उस समय तक मिश्रा और उसका परिवार कोलकाता छोड़ चूका था.
पोस्टल एजेंट और उसके साथी की तलाश में सीबीआई जुट गयी और इस जांच जे दौरान जानकारी मिली की मिश्रा जोधपुर में है. लेकिन मिश्रा का कोई सुराख नहीं मिला.
सीबीआई ने मिश्रा के परिवार पर देखरेख करना शुरू कर दिया और इस बीच सूचना मिली कि मिश्रा की पत्नी को रात में नियमित रूप से दो नंबरों से फोन आते हैं. दोनों नंबर बद्रीनाथ के थे और उत्तराखंड में महिलाओं की पहचान के नाम पर लिए गए थे.
सीबीआई की टीम ने नंबर के सहारे सीबीआई के अधिकारी भक्तों के वेश में बद्रीनाथ पहुंचे और बाबा को अपने कब्जे में लिया. सीबीआई प्रवक्ता ने जानकारी दी कि एजेंसी ने उसके बारे में सूचना देने पर 50 हजार रूपए की इनाम के रूप में घोषित कर रखी थी. 2005 में कोलकाता की एक अदालत ने उसे भगोड़ा करार दिया था.