गढ़कालिका के आशीर्वाद से महाकवि कालिदास को मिली लोकप्रियता
गढ़कालिका के आशीर्वाद से महाकवि कालिदास को मिली लोकप्रियता
Share:

उज्जैन : यूं तो उज्जैन तंत्र की स्थली है। यहां पर भूलोक के अधिपति मृत्यंजय श्री महाकालेश्वर का निवास है। ज्योर्तिलिंग श्री महाकालेश्वर को इस नगरी का राजा कहा जाता है। भगवान की इस नगरी में समृद्ध महाकालवन है और इसी महाकाल वन में भगवान शिव अपनी शक्ति और श्री गणेश जी के साथ विराजमान हैं। माता शक्ति यहां पर अपने विभिन्न स्वरूपों में विराजमान हैं उनके स्वरूप में एक स्वरूप सिद्ध पीठ और 51 शक्तिपीठ में से एक श्री हरसिद्धि का दरबार है। इतना ही नहीं यहां पर मां शक्ति अपने कालिका स्वरूप में विराजमान हैं।

इस प्राचीन क्षेत्र को गढ़ कालिका कहा जाता है और यहां प्रतिष्ठापित मंदिर को श्री गढ़कालिका माता मंदिर। जी हां, अतिप्राचीन समय में उज्जैन गढ़कालिका क्षेत्र के टीलों पर बसा था और नगर के इस परकोटे क्षेत्र में मां श्री गढ़कालिका साक्षात् विराजित हैं। हालांकि अब नगर का विस्तार हुआ और यह होता ही जा रहा है। श्री गढ़कालिका मंदिर प्राचीन टीले पर बसे क्षेत्र में है। माता कालिका की स्थापना नगर से किसी भी तरह के अनिष्ट की रक्षा के लिए की गई थी।

तो दूसरी ओर माता नगर को सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं। सम्राट विक्रमादित्य के काल में उनके दरबार में मौजूद नवरत्नों में से एक महाकवि कालिदास ने श्री महाकालि मां की कृपा से ही काव्य रचना करने में महारत पाई थी। वे लोकप्रिय कवि मां महाकालि की कृपा से ही हुए थे। मां कालि का यह प्राचीन मंदिर नवरात्रि और अन्य समय में लोगों की आस्था का केंद्र रहता है। यहां प्राचीन दीप स्तंभ भी हैं। माता अपने सुंदर स्वरूप में श्रद्धालुओं को वरदान देती हैं और हंसते हुए उनके सभी दुखों को दूर कर देती है।

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -