तू- तू मैं-मैं से नहीं चलता देश- नरेंद्र मोदी
तू- तू मैं-मैं से नहीं चलता देश- नरेंद्र मोदी
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में अपना उद्बोधन दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि मुश्किल हालातों में भी साथ जुड़ने और साथ चलने के लिए हमारा संविधान है। हम संविधान से परिचित हैं। संविधान का निर्माण हुआ है। आखिर कैसे - कैसे महापुरूषों ने किस तरह का योगदान दिया है। वे दूर - दूर तक देख पाते थे। कई समस्याओं का समाधान देते थे। भारत की मूल आत्मा के पटाक्ष में सामाजिक चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों को पार करने के लिए किसी तरह की व्यवस्था विकसित करनी होगी।

संविधान दिवस संविधान के लिए कार्य करने वाली पीढ़ी का आदर करने के लिए बनाया है। यदि पहले नहीं बना तो उसने कोई गुनाह किया है ऐसा मैं नहीं कहता। मगर बच्चे संविधान को जाने इसलिए इस दिवस का आयोजन किया गया। इन बातों को सकारात्मक तौर पर लेना चाहिए। आने वाली पीढ़ी को संविधान से परिचित करवाना होगा। महापुरूषों की उपेक्षा को भी बहुत देखा है।

मगर देश बाबा साहेब आंबेडकर के महान कामों को नकार नहीं सकता है। संविधान सभा के महापुरूषों के प्रति सभी को नमन करते हैं। अच्छी चीजों को बार-बार नमन करना चाहिए। क्योंकि बुरे हालात में भी अच्छी चीजों को नमन करना चाहिए। बेटा कितना ही बड़ा हो गया हो और गांव से शहर जाता हो तो वह बेटे को कहती है चालू गाड़ी में चढ़ना मत।मां तो बार - बार कहती है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दोहे का उल्लेख करते हुए कहा कि पत्थर पर रस्सी घिसने से नए आकार अंकित हो जाते हैं। संविधान एक जश्न होना चाहिए। यह संस्कार डल सकें। यह हमारा दायित्व है। देश केवल तू - तू मैं - मैं से नहीं चलता है। संविधान हमें जोड़ने की ताकत देती है। संविधान की ऊंचाई यह है कि हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। संविधान निरंतर शक्ति देता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वे हम की भाषा बोल रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि साथ चलने से ही देश चलेगा। उन्होंने आंबेडकर सहित विभिन्न महापुरूषों को भी नमन किया और उनके महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि जब इन महापुरूषों की दीव्य दृष्टि को देखेंगे तो यह पता लगेगा कि हमें अभी कितना उपर उठने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि कई बार राजनीतिक स्थितियां प्रभावी हो जाती है या फिर तत्कालिक लाभ लेने की मंशा जाहिर होने लगती है। सहमति से डाॅक्युमेंट बना। ऐसे में हमारा दायित्व बनता है कि हम इस कार्य को जरूर करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संस्कृत श्लोक सुनाकर कहा कि संविधान सभा में ऐसी कोई चर्चा नहीं हो सकती जिसमें कोई बुजुर्ग न हो। संविधान सभा की बहस में गोपाल स्वामी आयंगर की बात का उल्लेख भी किया।

उन्होंने कहा कि वित्त से संबंधित विषय पर यदि राज्यसभा और लोकसभा में कोई विवाद हो तो लोकसभा का निर्णय ही मान्य होगा। ऐसे में उन्होंने अप्रत्यक्षरूप से जीएसटी बिल को लेकर गोपाल स्वामी आयंगर की पंक्तियां सदन में बाचीं। उल्लेखनीय है कि जीएसटी को सरकार पारित करवाने के लिए पूरा प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान का निर्माण आपसी सहयोग की बात कहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश हमारी ओर देख रहा है। इसलिए विवाद से हटकर कार्य करने की जरूरत है। 

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