सऊदी अरब रवाना हुए PM मोदी, परमाणु सुरक्षा को लेकर जताई चिंता
सऊदी अरब रवाना हुए PM मोदी, परमाणु सुरक्षा को लेकर जताई चिंता
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वाॅशिंगटन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाॅशिंगटन में आयोजित किए जाने वाले परमाणु सुरक्षा सम्मेलन को लेकर उपस्थित राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ देश परमाणु तस्करी के मामले में सक्रिय तत्वों और आतंकियों के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। उनके द्वारा यह कहा गया है कि परमाणु सुरक्षा को लेकर यह एक बड़ा खतरा है। उन्होंने इस तरह की धारणा को त्यागने की अपील करते हुए कहा कि आतंकवाद को लेकर हम यह नहीं सोच सकते कि यह किसी और की परेशानी है। यह मेरा - तेरा जैसे बंधन से नहीं जुड़ा है। 

उनका कहना था कि परमाणु सुरक्षा एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है। सभी देश अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पालन करें। इसे तय किया जाना चाहिए। उन्होंने घोषणा की कि भारत परमाणु सुरक्षा कोष में 10 लाख डाॅलर का योगदान देगा। उनका कहना था कि आतंकवाद 21 वीं सदी की तकनीक का उपयोग कर रहा है। इस बढ़ते नेटवर्क को ध्वस्त करने की आवश्यकता है। यह नेटवर्क पूरी दुनिया में फैला है। उन्होंने आतंकियों के आपूर्ति तंत्र को लेकर भी चर्चा की।

उन्होंने कहा कि आतंकी गुफा में नहीं छिपा है उसके पास कंप्युटर और स्मार्टफोन है यह एक चुनौती है। उनकी बात के तीन आधार थे जिसमें आतंकियों की अतिहिंसा को पहला आयाम बताया। तो दूसरे तौर पर उन्होंने कहा कि ये तकनीक से लैस हैं। तीसरे रूप में उन्होंने कहा कि कई ऐसे समूह हैं जो इनके लिए परमाणु जखीरा उपलब्ध करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आतंकियों की पहुंच वैश्विक है मगर इसका सामना करने के बीच वास्तविक सहयोग नहीं मिल पा रहा है।

उन्होंने सभी देशों से आह्वान करते हुए आतंक के खिलाफ एकजुट होने की अपील भी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाॅशिंगटन में आयोजित किए गए परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में भागीदारी करने के बाद सऊदी अरब के लिए रवाना हो गए है। दरअसल वे सऊदी अरब में शाह सलमान बिन अब्दुल अल सउद से भेंट करेंगे। वे सउद के निमंत्रण पर रियाद जाऐंगे। वे भारतीयों को भी संबोधित करेंगे। यहां वे शाह सलमान बिन अब्दुल अल सउद के साथ आतंकवाद के मसले पर चर्चा करेंगे। यही नहीं वे यहां पर हज से जुड़े श्रद्धालुओं की बात सामने रखेंगे। उल्लेखनीय है कि वे यहां पर तेल, प्राकृतिक गैस आदि से जुड़े व्यापारिक मसलों पर भी चर्चा कर सकते हैं। मगर उनका फोकस आतंकवाद को लेकर होगा। 

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