मोदी ने मन की बात में किया कानपुर की नूरजहाँ का जिक्र
मोदी ने मन की बात में किया कानपुर की नूरजहाँ का जिक्र
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कानपुर। नूरजहाँ नाम का अर्थ ही है दुनिया को रोशन करना। इसी को चरितार्थ करते हुए कानपुर की नूरजहाँ नाम की एक महिला सौर ऊर्जा का प्रयोग कर पूरे गांव को रोशन कर रही है। नूरजहाँ चर्चा में तब आई जब प्रधानमंत्री मोदी ने इनका जिक्र अपनी मन की बात में किया। पीएम रविवार को अपने रेडियो आधारित कार्यक्रम मन की बात में जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे पर बात कर रहे थे और उन तमाम लोगो को एक उदाहरण दे रहे थे।

मोदी ने मन की बात में कहा कि कानपुर में नूरजहां नाम की एक महिला हैं। टीवी पर देखने से नहीं लगता है कि उन्हें ज्यादा पढ़ने का सौभाग्य मिला है। हालांकि, वह ऐसा काम कर रही हैं, जो शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा। जलवायु परिवर्तन के लिए विश्व के बड़े-बड़े लोग क्या-क्या करते होंगे, लेकिन नूरजहां शायद हर किसी को प्रेरणा देने का काम कर रही हैं। वैसे भी नूरजहां का तो मतलब ही है- 'संसार को रोशन करना।' इस काम के द्वारा वह रोशनी फैला रही हैं।

मैं नूरजहां को बधाई देता हूं। बता दें कि नूरजहाँ 500 घरों में रोशनी फैला रही है। नूर ने महिलाओं की एक समिति बनाई है और सौर ऊर्जा का प्लांट लगाया है। जहाँ से गांव के लोग रोजाना शाम को लालटेन ले जाते है और सुबह चार्ज करने के लिए दे जाते है। एक लालटेन की कीमत है 100 रुपए और चार्ज करने में 3-4 रुपए का खर्च आता है। पर कीमत से बड़ी है, घर को उजाले से रोशन करना। नूहरजहाँ दिन भर इन्हें चार्ज करने का काम करती है।

75 साल की नूहजहाँ कानपुर देहात के शिवली थाना अंतर्गत बेरी दरियावां गांव में रहती है। गरीबी ने उन्हें इस काम को शुरु करने की प्रेरणा दी। नूरजहाँ बताती है, पति की मौत के बाद मैं खूब रोई इसलिए नही कि मैं अकेली हो गई ब्लकि इसलिए कि अब 7 बच्चों का पेट कैसे भरुँगी। मुश्किल से एक टाइम खाना खिला पाती थी। न पैसा था, न जमीन और न ही सिर पर छत। आर्थिक तंगी के कारण बच्चों को पढ़ा भी नही पाई।

आज पांचों लड़के दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं। सबसे छोटे बेटे को छोड़कर सबकी शादी हो गई है और सब अपने-अपने परिवार के साथ पास के ही गांव में रहते हैं। आज मेरे हालात ठीक हैं। हमारे घर में दोनों टाइम चूल्हा जलता है। बुढ़ापे में जिंदगी अब थोड़ी आराम से कटने लगी है। नूरजहाँ ने सौर ऊर्जा से लालटेन का काम तीन वर्ष पहले शुरु किया था। इस काम को शुरु करने में श्रमिक भारती संस्था ने उनकी मदद की। श्रमिक भारती की राधा शुक्ला ने ही सोलर लालटेन के विषय में उन्हें बताया था, लेकिन मेरे सामने सबसे बड़ी समस्या मेरी आर्थिक स्थिति थी। जिसपर राधा शुक्ला ने मेरी गरीबी और उम्र को देखते हुए न केवल सोलर पैनल का इंतजाम करवाया, बल्कि पचास ऐसे लालटेन दिलवाए जो कि सौर ऊर्जा से चार्ज हो जाते थे।

इसके बाद मैंने अपने घर के छत पर पांच सोलर पैनल लगाए। कमरे में सभी लैंप को चार्ज करने के लिए तार से लेकर बैटरी तक लगाए गए। इस पूरे सेटअप में श्रमिक भारती ने एक रूपया भी नहीं लिया, लेकिन मैं लालटेन से होने वाली कमाई का पचास फीसदी हिस्सा श्रमिक भारती को देती हूं। शुरुआत में केवल 5-6 लोग ही लालटेन लेने आते थे। 3-4 महीने तक ऐसा ही चला। इसके बाद बेटों ने इसके लिए घूम घूम कर प्रचार करना सुरु किया। इसका असर भी हुआ और एक साल में 45 और लोग लालटेन ले गए। एक लालटेन के लिए एक महीने का किराया 100 रुपए है, इस तरह 45 लालटेन से 4500 रुपए की कमाई हुई। इसमें से 2000 रुपए वो संस्थान को देती है और 2500 रुपए अपने पास रखती है।

शाम 6 बजे लोग लालटेन ले जाते है और सुबह 10 बजे चार्जिंग के लिए दे जाते है। रविवार को मन की बात में नूरजहाँ का जिक्र होने के बाद उनके घर नेताओं और मीडिया का तांता लग गया। खुश तो हुई पर चिंता भी थी। और अंततः पूछ लिया, मेरी भी फोटो आएगी क्या, मोदी जी के पास मेरी फोटो ले जाओगे। भइया कुछ होगा तो नही। कानपुर नगर भाजपा कमिटी के अध्यक्ष सुरेन्द्र मैथानी नूरजहाँ के घर पहुँच गए। मोदी का एक मोमेन्टो और शॉल ओढ़ाकर उन्हें सम्मानित किया गया। इससे वो और उनके बच्चे बेहद खुश हुए।

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