नई दिल्ली : भारत की राजनीति में विवादित अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकाॅप्टर डील हाईलाईट हो रही है। संसद से सड़क तक हर कहीं इसकी चर्चा है। भारतीय जनता पार्टी विपक्ष के हंगामे को लेकर इस डील मसले को ढाल के तौर पर उपयोग करने में लगी है तो विपक्ष भाजपा पर ही इस डील के माध्यम से हमला करने की तैयारी में है। ऐसे में यह बात सामने आई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में किसी भी तरह की डील नहीं की है।
सरकार द्वारा कहा गया है कि असली मसला तो भ्रष्टाचार का ही है। विपक्ष के हमलों का जवाब देने हेतु मनोहर पर्रिकर ने विशेष दल गठित किया है। रक्षामंत्री द्वारा गठित दल फाईलों के माध्यम से यह जानने में लगा है कि इस मामले में किस का पक्ष लिया गया और फिर किसे क्या दिया गया।
उल्लेखनीय है कि डील में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का नाम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी का नाम इस डील के एक आरोपी से जुड़ गया है, जिसे लेकर अब सरकार स्पष्टीकरण देने में लगी है। कहा जा रहा है कि सरकार पर व्यर्थ के आरोप लगाए जा रहे हैं। सरकार फाईलों को खंगाल रही है जिससे विपक्ष पर तीखे हमले किए जा सके। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर यह सवाल उठा रहे हैं कि जब ये हेलिकाॅप्टर्स कम ऊंचाई पर उड़ते हैं तो फिर समझौता क्यों किया गया।