गया में पितरों को मोक्ष दिलाने पहुंचे पिंडदानी, जानिए खरमास में श्राद्ध करने का महत्व
गया में पितरों को मोक्ष दिलाने पहुंचे पिंडदानी, जानिए खरमास में श्राद्ध करने का महत्व
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आज से बिहार के गया में मिनी पितृपक्ष मेला की शुरुआत हो रही है। आपको बता दें कि इस समय खरमास चल रहा है। जी दरअसल खरमास 14 दिसंबर से शुरू हुआ है और यह 14 जनवरी तक रहेगा, यानि धनु संक्रांति से मकर संक्रांति तक। वहीं इस दौर को मिनी पितृपक्ष भी कहा जाता है। आपको बता दें कि खरमास में पिंडदान करने का विशेष महत्व है। इस वजह से गयाधाम में पिंडदानियों की संख्या काफी बढ़ गयी है। आपको बता दें कि अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए दूसरे राज्यों से लोग गया में श्राद्ध करने पहुंचे है।

आज यानी 17 दिसंबर के दिन विष्णुपद इलाका तीर्थयात्रियों की भीड़ से गुलजार हो गया है। गया में जम्मू-कश्मीर, हिमालय, यूपी, एमपी, राजस्थान और महाराष्ट्र से पिंडदानी पहुंचे हुए है। आपको बता दें कि पौष माह शुरू हो गया है। इस मास में गयाजी में पिंडदान का अलग महत्व है। आपको यह भी जानकारी दे दें कि पौष मास में मिनी पितृपक्ष मेला के दौरान गयाजी लाखों लोग श्राद्ध करने पहुंचते है। इस बार इस मिनी पितृपक्ष मेले में करीब ढाई लाख से अधिक पिंडदानियों के आने की उम्मीद है।

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जी हाँ और मिनी पितृपक्ष मेले में एक और तीन दिन का पिंडदान का कर्मकांड करने को अधिकांश पिंडदानी आते हैं। आपको यह भी जानकारी दे दें कि गया में वर्तमान में पिंडदान के लिए 53 वेदियां मौजूद हैं, जो कि गयाजी के पंचकोशी क्षेत्र में स्थित हैं। इसमें प्रमुख वेदियों में विष्णुपद, देवघाट, प्रेतशिला, अक्षयवट, रामशिला, सीता कुंड समेत अन्य वेदियां हैं। गया में पिंडदान करने से मृतक की आत्मा को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। शास्त्रानुसार गया में भगवान विष्णु हमेशा ही निवास करते हैं। फल्गु नदी के जल में भगवान विष्णु का वास होता है। ऐसा माना जाता है कि फल्गु नदी के जल और बालू से बने पिंड का दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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