बाल विवाह में शामिल होने पर मोहमानों को मिलेगी सजा न कि 56 भोग
बाल विवाह में शामिल होने पर मोहमानों को मिलेगी सजा न कि 56 भोग
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मैसूर: बाल विवाह में शामिल होने वाले मेहमानों को अब 56 प्रकार के व्यंजन नहीं बल्कि जेल की हवा खानी पड़ सकती है. महिला एवं बाल विकास विभाग ने बाल विवाह को रोकने के लिए ये नया रास्ता निकाला है. दुल्हा और दुल्हन के परिवार के अलावा विवाह में शामिल होने वाले या उनका साथ देने वाले लोगों के खिलाफ भी बाल विवाह निषेध कानून के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।

बाल विवाह में शामिल होने वाले मेहमानों को 1 लाख तक का जु्र्माना और दो साल की सजा हो सकती है. इसके अलावा मामला यदि पोस्को एक्ट के तहत दायर किया जाता है, तो कम से कम सात साल की सजा हो सकती है. मैसूर जिले के महिला बाल विकास विभाग की उपनिदेशक के राधा ने बताया कि अगर यह पाया गया कि नाबालिग को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया या वह गर्भवती हो जाती है तो उन लोगों को जिन्‍होंने शादी में शिरकत या मदद की उन पर पोस्‍को एक्‍ट के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।

जिले में बीते दो वर्षो में 216 बाल विवाह को रोका जा सका है, लेकिन नियम का उल्लंघन करने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई. के राधा के अनुसार, स्वैच्छिक संगठनों की मदद से स्कूलों और गांवो का दौरा कर बाल विवाह के परिणामों के बारे में जागरुकता फैलाई जाएगी।

उन्होने बताया कि 2012-12 और 2013-14 में क्रमशः 35 और 21 बाल विवाहों को होने से रोकने में सफलता मिली. 2015-16 में यह बढ़कर 111 हो गया. ज्यादातर बाल विवाह के मामले हुन्‍सुर, केआर नगर और एमडी कोते तालुक्‍स में पाए गए।

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