वाॅशिंगटन : पाकिस्तान खुद के परमाणु शक्ति संपन्न होने का दावा करता रहा है। वह अप्रत्यक्षतौर पर भारत को चेताता रहा है कि उसके पास परमाणु शक्ति है। मगर पाकिस्तान ने वर्ष 1980 में यूरेनियम संवर्धन को लेकर अपना वायदा ही तोड़ दिया था। अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के साथ असैन्य परमाणु करार पर विचार करने की बात कही गई थी। इस दौरान सार्वजनिक हुए दस्तावेजों को लेकर कई तरह की बातें सामने आई हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा अभिलेखागार द्वारा गोपनीय दस्तावेज के अनुसार इस बात की जानकारी दी गई है। जिसमें यह कहा गया है कि उस समय के पाकिस्तानी सैन्य शासक ज़िआ उल हक़ ने यह कहा था कि पाकिस्तान 5 प्रतिशत से अधिक यूरेनियम संवर्धन नहीं करेगा। जिसके बदले में उन्होंने अमेरिका से भारी वित्तीय सहायता और आधुनिक सैन्य सहयोग अर्जित करने की बात कही।
मिली जानकारी के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन द्वारा 12 सितंबर 1984 को जिया को पत्र लिखा गया। जिसमें इस आश्वासन की सराहना करते हुए कहा गया कि पाकिस्तान 5 प्रतिशत से अधिक यूरेनियम संवर्धन नहीं करेगा। मगर इस दौरान पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम को लेकर चिंता जताई गई।
इस दौरान यह कहा गया कि बिना किसी तरह के नाटकीय अंदाज़ के वे इसका उपयोग करने की बात करते रहे लेकिन पाकिस्तान इसका प्रयोग बढ़ाता रहा। दूसरी ओर अमेरिका ने भी पाकिस्तान के परमाणु उपयोग पर चिंता जताई। उसका कहना था कि यदि पाकिस्तान अपने ऐसे कार्यक्रमों को आगे बढ़ाता रहा तो दूसरे देशों को भी अपनी ओर से कार्रवाई करनी होगी। पाकिस्तान के ऐसे कदमों को लेकर अमेरिका ने काफी गंभीरता बरती।