पीएसीएल ने समय देने पर निवेशकों के लिए भारी लाभ कमाने का वादा किया
पीएसीएल ने समय देने पर निवेशकों के लिए भारी लाभ कमाने का वादा किया
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पीएसीएल (PACL) भू संपदा क्षेत्र की ऐसी कंपनी है जिसके पास भारत में सबसे बड़ा भूमि बैंक है। इसे 52 सफल परियोजनाओं का श्रेय है और ये परियोजनाएं दिल्ली, नोएडा, मुंबई, मोहाली, जीरकपुर, वडोदरा, पुणे, बठिण्डा, लुधियाना, बनुर और ऐसी कई जगहों में हैं। पर भ्रम के कारण इसे कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम से जोड़ दिया गया है। इसलिए, इसके तहत पीएसीएल से सेबी ने कहा है कि वह तीन महीने की बहुत कम समय सीमा के अंदर निवेशकों को उनके 49,000 करोड़ रुपए लौटाए। पर यह कंपनी के साथ-साथ निवेशकों के लिए भी उचित नहीं है। पीएसीएल के कारोबार को सीधे प्रभावित करना और इतने कम समय में पैसे लौटाने के लिए कहने की बजाय, सेबी को चाहिए कि कंपनी को कुछ और समय दे।   
     
इसकी वजह यह है कि समय दिया जाए तो पीएसीएल (PACL) अपनी जारी और भावी परियोजनाओं से भारी राजस्व जुटा सकता है। यह हर किसी के लिए फायदे की स्थिति होगी। अगर कोई कंपनी अपने निवेशकों के लिए ज्यादा पैसे कमाना चाहती है तो ऐसा शायद कोई वाजिब कारण नहीं है कि कंपनी की निन्दा की जाए। ऐसे समय में जब ग्राहकों को हर तरह से लूटा जा रहा है, पीएसीएल की कोशिश है कि अपने ग्राहकों के लिए कुछ लाभ कमाए। ऐसी कार्य नैतिकता बमुश्किल देखी जाती है।   

पीएसीएल के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, गणित सीधा है। अगर कोई जमीन एक्स धनराशि में बिकती है तो वही भूमि, अच्छी संरचना के निर्माण के बाद 10 एक्स धनराशि में बिकेगी। इसलिए, अगर समय दिया जाए तो पीएसीएल सारी देनदारी क्लीयर कर सकता है और अपने निवेशकों के लिए कई गुना मुनाफा कमा सकता है। सच तो यह है कि दिल्ली में लैंड पूलिंग पॉलिसी के मुताबिक, अगर पीएसीएल अपनी 552 एकड़ भूमि के 60 प्रतिशत में निर्माण करती है और इसे न्यूनतम मूल्य पर बेचती है तो भी यह अकेले 40,000 करोड़ रुपए कमाएगी। इस तरह, सिर्फ दो साल में अकेले दिल्ली से इतना राजस्व आएगा कि हमारी सारी देनदारियों को चुकाने के लिए पर्याप्त होगा। सीधी सी बात है कि हमें सिर्फ समय की जरूरूत है। हम अपराधी नहीं है। हम अपने निवेशकों को कतई धोखा नहीं दे रहे हैं। सेबी ने हमें कोई समय दिया ही नहीं है।

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