राष्ट्रगान के सम्मान पर ओवैसी का बड़ा सवाल
राष्ट्रगान के सम्मान पर ओवैसी का बड़ा सवाल
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नईदिल्ली। आॅल इंडिया मजलिस - ए - इत्तेहादुल मुसलीमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि सिनेमा घरों में राष्ट्रगान गाए जाने का जो आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है वह स्वागत योग्य है। मगर एक बड़ा सवाल है कि क्या इससे देशभक्ति की भावना मजबूत होगी। इस मामले में ओवैसी ने कहा कि राष्ट्रीय सम्मान का अपमान रोकथाम कानून, 1971 और राष्ट्रगान के केंद्रीय गृह मंत्रालय का परामर्श नागरिकों से यह नहीं कहता है कि राष्ट्रगान के समय सम्मान स्वरूप खड़ा होना आवश्यक ही है। ओवैसी ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि कानून में संशोधन कर परामर्श का पुनरीक्षण किया जाना जरूरी है।

इस दौरान ओवैसी ने कहा कि संविधान, राष्ट्रगान, राष्ट्रध्वज और देश के मानचित्र का अपमान करने के मामले में राष्ट्रीय सम्मान का अपमान रोकथाम कानून ही अकेले कार्य करता है। ऐसे में अलग से राष्ट्रगान के सम्मान को लेकर इस तरह के नियम की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि हालांकि न्यायालय ने जो आदेश दिया है वह ठीक है और इसका पालन करना है।

मगर आखिर राष्ट्रगान के गायन के दौरान खड़ा होना ही होगा क्या। उन्होंने कहा कि सरकार को 1971 के कानून में संशोधन और गृहमंत्रालय के परामर्श को ठीक करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि न्यायालय का आदेश पालन में लाया जाएगा मगर इससे यह तय नहीं हो पाएगा कि राष्ट्र के सम्मान की भावना लोगों मे बढ़ेगी।

मैं भी चाहता हूं कि देशभक्ति लोगों में बढ़े और मैं इसके पक्ष में हूं लेकिन आखिर क्या राष्ट्रगान के समय खड़े होना जरूरी है। उन्होंने गोवा का उदाहरण देकर कहा कि एक दिव्यांग व्यक्ति को राष्ट्रगान गाए जाने पर खड़े नहीं होने पर पिटाई का सामना करना पड़ा ऐसे में क्या यह सही है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं को लेकर आखिर क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

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