आतंकी समझ पुलिस ने चिप डाल दी, कोर्ट ने किया बाइज्जत बरी
आतंकी समझ पुलिस ने चिप डाल दी, कोर्ट ने किया बाइज्जत बरी
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नई दिल्ली। आतंक व देशद्रोह के आरोप में जिस आतंकी को जेल में बंद किया गया था, उसे कोर्ट ने सबूतों के अभाव में छोड़ दिया। जस्टिस एसएएच रिजवी ने अब्दुल रहमान उर्फ इकबाल को गुरुवार को रिहाई का आदेश देते हुए कहा कि उसके खिलाफ जो भी सबूत पेश किए गए वो काफी नही थे। इसके बाद उसे जेल से रिहा कर दिया गया।

कोर्ट का कहना है कि इकबाल को पुलिस ने किसी घटना स्थल से गिरफ्तार नही किया था और न ही उसके पास से कोई संदिग्ध चीज बरामद हुई। अपने 16 पन्नों के आदेश में अदालत ने कहा कि अभियोजन यह साबित करने में विफल रहा कि आरोपी इकबाल किसी आतंकवादी संगठन का सदस्य था अथवा किसी आतंकी गतिविधि में शामिल था।

एसटीएफ ने एक सूचना के आधार पर 21 मई 2008 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था। एसटीएफ का कहना है कि 23 जून 2007 को लखनऊ में जो आतंकी हमला हुआ था, उस मुठभेड़ में वो शामिल था औऱ किसी तरह वो वहां से भाग निकला। इकबाल ने बताया कि गिरफ्तार करने से पहले 20 मार्च को उसे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उठाया था और उससे खुद को हुजी का आतंकी बताने के लिए तमाम तरह की यंत्रणाएं दी गई थी, वो दिल्ली में इमामत करता था।

उसे बुरी तरह पीटा गया। वो बेहोश हो गया, जब उसे होश आया तो सिर और पीठ के निचले हिस्से में ताजा जख्म देखे। इकबाल का कहना है कि उसके शरीर में चिप डाली गई है। जिससे उसे दर्द औऱ कंपन महसूस होता है। दूसरी ओर उसकी रिहाई के लिए कानूनी जंग लड़ने वाले रिहाई मंच के संस्थापक एडवोकेट मोहम्मद शुऐब ने बताया कि उसके खिलाफ जिन लोगों को पुलिस ने गवाह बनाया था

उन्होंने कोर्ट में कहा कि जिस रात की गोलीबारी की बात पुलिस कर रही है, उस रात तो वे घर से निकले ही नहीं थे। ऐसे में समझा जा सकता है कि खुफिया एजेंसियां किस तरह बेगुनाहों को फंसाने का काम कर रही हैं।

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