100 से भी अधिक अश्वमेघ यज्ञ करवाने वाले पुरुरवा आखिर कौन थे
100 से भी अधिक अश्वमेघ यज्ञ करवाने वाले पुरुरवा आखिर कौन थे
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कहते है कि बुध चन्द्रमा कि पत्नी रोहिणी का पुत्र है लेकिन इसके विपरीत एक और भी पौराणिक कथा है। जो हमें 100 से भी अधिक अश्वमेघ यज्ञ करवाने वाले पुरुरवा से जोडती है तो आइये जानते है इस कथा के अनुसार बुध किसका पुत्र है और पुरुरवा कौन है।

एक बार चन्द्र ने एक स्त्री का अपहरण किया जो कि देवगुरु ब्रहस्पति कि पत्नी तारा थी। जब ब्रहस्पति ने अपनी पत्नी को वापस माँगा तो चन्द्र ने युद्ध का प्रस्ताव रखा और कहा कि यदि इस युद्ध को तुम जीत लेते हो तो अपनी पत्नी को ले जाना और इस प्रकार एक ऐसा युद्ध शुरू हुआ जिससे पृथ्वी तक भी विचलित हो गई और ब्रम्हा जी से युद्ध रुकवाने के लिए निवेदन किया।

ब्रम्हा जी ने यह युद्ध तो रुकवा दिया। लेकिन इसके बाद एक और बड़ी समस्या खड़ी हो गई वह समस्या कुछ इस प्रकार थी। युद्ध विराम के बाद ब्रहस्पति को उनकी पत्नी तारा वापस सौप दी गई तथा कुछ दिनों बाद तारा के गर्भ से एक बच्चे ने जन्म लिया उस बालक पर ब्रहस्पति और चन्द्रमा दोनों ही अपना अधिकार बताने लगे इस समस्या को हल करने के लिए ब्रम्हाजी ने तारा से आनुरोध किया कि अब वे ही बताए कि यह पुत्र किसका है। ब्रम्हाजी के आग्रह पर तारा ने स्वीकार किया कि यह पुत्र चन्द्र का ही है। यह बालक ही बुध था। और इसी घटना के कारण बुध का एक और नाम इंदुसुत भी पड़ गया।

बुध इसी बात से हमेशा चन्द्र से कुपित रहते है। लेकिन चन्द्र कभी भी बुध को अपना शत्रु नहीं मानते है। और इसी का प्रभाव कुंडलियो में बुध और चन्द्रमा के अच्छे बुरे प्रभाव के रूप में देखने को मिलते है। बुध का विवाह वैवस्वत मनु कि पुत्री इला से हुआ तथा इला से बुध का एक पुत्र हुआ। जिसका नाम पुरु रखा गया कहा जाता है कि पुरु ने अपने जीवन में 100 से भी अधिक अश्वमेघ यज्ञ करवाए तथा यही पुरु बाद में पुरुरवा के नाम से विख्यात हुआ।

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