इंदौर : स्टूडेंट रात दिन एक करके मेरिट मे आने के लिए पढ़ाई करते है लेकिन वही जिम्मेदार लोग लापरवाही बरतकर उनकी मेहनत को पानी मे मिला देते है, ऐसा ही मामला है इंदौर का जहा 10वीं की होनहार छात्रा भव्या जैन ने मेरिट में आने के लिए पूरे साल रात दिन एक करके पढ़ाई की लेकिन परिणाम आए तो अंग्रेजी छोड़ हर विषय में 90 के आसपास अंक प्राप्त हुए।
भव्या को विश्वास था की उसे अंग्रेजी में अछे अंक मिलने चाहिए लेकिन 50 ही मिले। इस पर उसने हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका दायर कारवाई जिस पर सुनवाई करते हुए वहां जज ने अपने सामने कॉपी चेक करवाई। जब कॉपी चेक हुई तो अंक 50 से बढ़कर 74 हो गए।
जज ने इसे मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल (एमपी बोर्ड) की गंभीर लापरवाही मानते हुए 25 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई और यह राशि छात्रा को देने के लिए कहा। कोर्ट ने फैसले में यह भी लिखा कि जिस शिक्षक ने छात्रा की कॉपी गलत जांची, उसकी पड़ताल कर ब्लैक लिस्टेड किया जाए।
जब परिणाम आया तो अंग्रेजी मे 50 अंक देखकर भव्या को यकीन नही हुआ की उसे इतने कम अंक मिले है। उसने दुबारा गणना करने के लिए एमपी बोर्ड मे आवेदन दायर किया लेकिन कोई फाइदा नही हुआ। इसके बाद दोस्तो ओर घरवालो की सलह पर भव्या मे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। भव्या ने वकील की मदद से याचिका दायर की जिस पर जस्टिस एससी शर्मा ने दोबारा कॉपी चेक कारवाई तो 24 अंक बढ़ गए।