माता-पिता को परेशान करने वालों की अब खैर नहीं ...
माता-पिता को परेशान करने वालों की अब खैर नहीं ...
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गोवाहाटी।​ हमारे सभी धार्मिक ग्रंथ और गुरु यही सिखाते है कि माता पिता भगवान का रूप होते है और हमे उनकी निःस्वार्थ भाव से सेवा करनी चाहिए। लेकिन इसके बावजूद कई लोग अपने बुजुर्ग माता पिता की सेवा करना तो दूर उल्टा उन्हे परेशान करते रहते है । अक्सर ऐसी खबरे हमारे सामने आते रहती है जिनमे कई लोग अपने माँ बाप के साथ अच्छे से बर्ताव नहीं करते या उन्हे व्रद्धाश्रम मे छोड़ आते है। और कुछ लोग तो हैवानियत की सारे हदे पार करके अपने ही माता - पिता को जान से मारने का प्रयास भी करने लगते है ।

लगभग इन सभी मामलो मे बुजुर्ग माता-पिता एकदम बेबस और बेसहारा महसूस करते है। वो अपना दुख दर्द किसी से बाट नहीं पाते। लेकिन अब ऐसे लोगो की खैर नहीं। क्यूंकी अब बुजुर्ग माता - पिता की सेवा ना करने वालों सरकार ने दंड देने की योजना बना ली है। दरअसल असम सरकार इस मामले को लेकर दो अक्टूबर से एक नया कानून लाने जा रही है।  इस कानून के अनुसार असम के सरकारी कर्मचारी अपने ऊपर निर्भर मां-बाप एवं शारीरिक रूप से अशक्त भाई-बहन की देखभाल करने पर मजबूर होंगे। और कानून का पालन ना करने पर कर्मचारियों के वेतन से पैसे काटे जाएंगे। वित्त मंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने यह जानकारी दी और साथ ही बताया कि इस तरह का कानून लाने वाला असम देश का पहला राज्य होगा।

असम सरकार के इस नए अभियान का नाम प्रणाम अधिनियम होगा । एक सम्मेलन मे वित्त मंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने कहा कि मंत्रिमंडल ने इस हफ्ते की शुरुआत में प्रणाम अधिनियम के नियमों को मंजूरी दे दी। हम अब एक प्रणाम आयोग का गठन करेंगे और उसमें अधिकारी नियुक्त करेंगे। अंत में हम दो अक्तूबर से प्रणाम अधिनियम लागू करना शुरू कर देंगे।

वेतन के अनुसार ही होगा जुर्मना

इस नियम का उलंघन करने पर जुर्माने की राशि भी कर्मचारी के वेतन के अनुसार ही होगी । वित्त मंत्री हेमंत शर्मा ने कहा, नियमों के तहत अगर कोई बच्चा (सरकारी कर्मचारी) उस पर निर्भर माता-पिता की देखभाल नहीं करता तो उसके कुल वेतन का 10 प्रतिशत हिस्सा काट लिया जाएगा और वह राशि माता-पिता के खाते में डाल दी जाएगी। दिव्यांग (शारीरिक रूप से अशक्त) भाई-बहन होने की स्थिति में वेतन से 15 प्रतिशत तक हिस्सा काट लिया जाएगा। पूरे देश भर मे लोग इस कानून को असम सरकार का एक अच्छा कदम मान रहे है लेकिन कुछ ऐसे भी लोग है जिन्होंने इस कदम को सिर्फ चुनाव के लिए पब्लिसिटी हासिल करने का एक तरीका बताया है ।

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