विदेशी नहीं ले सकेंगे भारत में किराये की कोख
विदेशी नहीं ले सकेंगे भारत में किराये की कोख
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नईदिल्ली : किराये की कोख अर्थात् सरोगेसी को लेकर सरकार ने एक महत्वपूर्ण बात सर्वोच्च न्यायालय के सामने रखी है। जिसमें यह कहा गया है कि भारत में विदेशी नागरिक किराये की कोख नहीं ले सकते हैं। किराये की कोख की सेवा भारतीय दंपतियों के लिए ही वैध किए जाने की बात सरकार द्वारा कही गई। सरकार ने कहा कि इसके व्यावसायिकरण का समर्थन नहीं किया जा सकता है। विदेशी को भारत में किराये की कोख लिए जाने का प्रावधान करने से सरकार ने इंकार किया है। 

इस मामले में सरकार का कहना है कि वह मानव भ्रूण के आयात पर प्रतिबंध लगाना चाहती है। विदेशी व्यापार महानिदेशालय द्वारा कृत्रिम गर्भाधान द्वारा भारत में मानव भू्रण - आयात की अनुमति देने को लेकर एक अधिसूचना जारी की गई थी। वर्ष 2013 में जारी की गई अधिसूचना वापस लिए जाने का निर्णय भी इस मामले में लिया गया। इस मसले पर न्यायाधीशों की पीठ ने सरकार के निर्णय पर अपनी ओर से कहा कि उसे यह जानकर अच्छा नहीं लगा कि वह दूसरे देशों के दंपतियों को भारत में किराये की मां के माध्यम से बच्चे की अनुमति नहीं देना चाहती है।

उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति रंजन गोगाई व न्यायमूर्ति एन वी रमण की पीठ ने सरकार द्वारा एक समाचारपत्र में किराये की कोख के व्यावसायीकरण को लेकर सरकार के विज़न का विवरण प्रकाशित किए जाने पर नाराजगी दर्शाई गई। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने विदेशियों द्वारा भारतीय महिला की कोख को किराये की कोख के तौर पर उपयोग करने और उससे बच्चा प्राप्त करने को लेकर न्यायालय में हलफनामा दायर किया गया जिसमें यह कहा गया कि सरकार किराये की कोख के व्यावसायीकरण का समर्थन नहीं करना चाहती है।

हलफनामे के कुछ अंश समाचार पत्र में लीक हो गए। जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि न्यायालय को सरकार से कोई स्पष्टीकरण नहीं चाहिए। उन्होंने सरकार साॅलिसिटर जनरल को हलफनामा रजिस्ट्री में दाखिल करने को कहा। न्यायालय ने भी अपनी ओर से मानव भ्रूण के आयात की नीति पर ध्यान देने और किराय की कोख के व्यावसायिक उपयोग को रोकने के लिए कानून बनाने के निर्देश भी सरकार को पहले ही दिए थे। 

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